अशोक परनामी ने की गुपचुप दरगाह जियारत

ashok parnami thumbआमतौर पर कोई भी बड़ा राजनेता जब अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत के लिए आता है, तो व्यापक प्रचार प्रसार होता है। चैनलों और अखबारों के केमरामैनों को पहले ही सूचना भिजवा दी जाती है, लेकिन 26 नवम्बर को राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने गुपचुप तरीके से यहां ख्वाजा साहब की दरगाह की जियारत की। जियारत को इतना गुप्त रखा गया कि मीडिया के किसी भी साथी को जानकारी नहीं मिली। आमतौर पर दरगाह के अंदर बाहर फोटोग्राफर और केमरामैन खड़े ही रहते हैं, लेकिन ऐसे मीडियाकर्मी भी परनामी की जियारत के चित्र नहीं ले सके। परनामी के अजमेर से चले जाने के बाद भाजपा के चुनिंदा नेताओं ने जियारत की जानकारी को लीक किया। अब मीडिया में जो फोटो आए हैं, वह भी भाजपा नेताओं के मोबाइल फोन से खींचे गए हैं। राजनीतिक क्षेत्रों में इस बात की चर्चा है कि आखिर परनामी ने अपनी दरगाह जियारत को गुप्त क्यों रखा? क्या कोई मन्नत पूरी होने पर वायदे के मुताबिक परनामी जियारत के लिए दरगाह आए? प्रदेश और देश के ताजा हालातों में तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की दरगाह जियारत का ज्यादा ही प्रचार प्रसार होना चाहिए था। जब कुछ फिल्मी कलाकार देश में असहिष्णुता का मुद्दा उठा रहे हैं, तब परनामी की जियारत का खास महत्त्व है। 23 नवम्बर को ही प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी दरगाह जियारत की थी और तब यही दिखाने की कोशिश की गई कि भाजपा की सरकार में साम्प्रदायिक सद्भावना का माहौल है। सीएम की दरगाह जियारत को व्यापक प्रचार प्रचार भी मिला।
तीन नेताओं को सूचना:
परनामी ने अजमेर आने की सूचना देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत को दी। सारस्वत ने ही नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और शहर भाजपा के अध्यक्ष अरविंद यादव को जियारत के समय दरगाह पर बुलाया। जियारत के बाद परनामी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता कंवल प्रकाश किशनानी के स्वामी रेस्टोरेंट में नाश्ता भी किया। परनामी ने प्रात: 10 बजे ही दरगाह जियारत कर ली। परनामी की नाती यहां मेया गल्र्स स्कूल में अध्ययन करती है।

(एस.पी. मित्तल)
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