भारतीय सेना ने 9 जून को पड़ौसी देश म्यांमार की सीमा में घुसकर दो आतंकी कैम्पों पर हमला कर करीब सौ उग्रवादियों को मौत के घाट उतार दिया। इन उग्रवादियों में वे भी शामिल थे, जिन्होंने पिछले दिनों ही मणिपुर-अरुणाचल प्रदेश में हमला कर सेना के बीस जवानों की हत्या कर दी थी। आजाद भारत के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर रहा, जब भारतीय सेना ने किसी दूसरे देश की सीमा में घुसकर आतंकवादियों को ढेर कर दिया। जिस तरह से सेना के स्पेशल पैरा कमांडोज ने कार्यवाही की, उसके बाद से ही यह मांग उठने लगी है कि अब पाकिस्तान में जो आतंकी कैम्प चल रहे हैं, उन पर भी हमला किया जाना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जो दृढ़ इच्छा वाली सरकार है, उसी की वजह से म्यांमार में ऑपरेशन सफल हुआ है, लेकिन इस ऑपरेशन को आधार बनाकर पाकिस्तान के आतंकी कैम्पों पर हमले की मांग करना जल्दबाजी होगी। असल में म्यांमार भी इन आतंकारियों से दु:खी था, इसलिए उसने भारत की सेना को अपनी सीमा में घुसने की इजाजत दी। म्यांमार का ऑपरेशन दोनों देशों की सहमति से हुआ है। यदि म्यांमार की सरकार और सेना की सहमति नहीं होती तो शायद भारतीय सेना को अपने दुश्मनों को मारने में सफलता नहीं मिलती। पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में जो आतंकी कैम्प चल रहे हैं उन्हें वहां की सरकार और सेना का संरक्षण है। कई कैम्प तो पाक सेना की छावनी के निकट ही संचालित हो रहे हैं। पाक अधिकृत कश्मीर में भी पाक सैनिकों की मदद से ही आतंकी कैम्प चलाए जा रहे हैं। पिछली कांग्रेस और वर्तमान भाजपा की सरकार ने भी कई बार कहा है कि भारत के विरुद्ध आतंकी हमले करवाने में पाक सरकार और सेना की भूमिका है। जब किसी आतंकी कैम्प को सरकार का ही संरक्षण हो तो फिर भारत उस देश की सीमा में घुसकर कैम्प पर हमला कैसे कर सकता है? भारतीय फौज को अपनी सीमा में घुसने की इजाजत पाकिस्तान कभी भी नहीं देगा। यदि भारत को पाकिस्तान में भी म्यांमार जैसा ऑपरेशन करना है तो उसे इजरायल जैसी ताकत दिखानी होगी। पीएम नरेन्द्र मोदी अपनी विदेश यात्राओं के अभियान में इजरायल भी जाने वाले हैं।
म्यांमार के ऑपरेशन के बाद मोदी की इजरायल यात्रा का महत्त्व और बढ़ गया है। पाक में प्रशिक्षण लेकर आतंकी जिस प्रकार कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्याएं करते हैं, उसका जवाब भारतीय सेना को म्यांमार की तरह ही देना होगा। इसके साथ ही कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर भी अंकुश लगाना होगा। इन अलगाववादी नेताओं की वजह से ही पाकिस्तान के आतंकियों को बल मिलता है। आतंकियों और अलगाववादियों को लगता है कि एक-दूसरे की मदद कर कश्मीर को भारत से छीन लिया जाएगा। यहां यह बात खासतौर से उल्लेखनीय है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड आदि में जो उग्रवादी सक्रिय हैं, उन्हें पाकिस्तान का नहीं बल्कि चीन का समर्थन है। म्यांमार में सैनिक कार्यवाही कर भारत ने चीन को भी संदेश दिया है। इस मामले में पाकिस्तान के गृहमंत्री निसार खान की प्रतिक्रिया भी चौंकाने वाली है। खान ने चेतावनी के लहजे में कहा कि भारत पाकिस्तान को म्यांमार नहीं समझे। पाक की यह प्रतिक्रिया ‘चोर की दाढ़ी में तिनकाÓ वाली कहावत है, क्योंकि निसार खान को पता है कि भारत विरोधी आतंकी पाक में ही रहते हैं, यदि भारत ने कोई कार्यवाही की तो पाक सरकार और सेना भारत की फौज से ही लड़ेगी। यानि आतंकियों को पाक का संरक्षण मिलता रहेगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511
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