हज के लिए दुनिया के लाखों मुसलमान मक्का पहुँचे हैं पर लाखों के अरमान दिल में ही मचलते रह गए, बहुत सारे ऐसे भी हैं जो हज पर जाना तो चाहते हैं लेकिन उनकी जेब इजाजत नहीं देती.
साल भर में एक बार होने वाली हज यात्रा अब एक आकर्षक व्यवसाय बन गई है जो तेल समृद्ध देशों की अर्थव्यवस्था के लिए काफी मुनाफ़े का सौदा है.
हज के पारंपरिक सफेद लिबास में ट्यूनीशिया के 53 वर्षीय मोहम्मद ज़्यान ने सारा जीवन इस हज यात्रा का इंतज़ार किया तब जाकर कहीं वो इस धार्मिक दायित्व को निभाने के लायक हुए.
ज़्यान कहते हैं, “मैंने हज पर तीन लाख रुपए खर्च किए, लेकिन मुझे दुख है कि मैं अपनी पत्नी और बेटे को अपने साथ नहीं ले जा सका”
हर साल लाखों हज यात्री मक्का आते हैं और सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को अरबों डालर दे जाते हैं.
जहां मोबाइल कंपनियां, रेस्तरां, होटल, ट्रैवेल एजेंट और एयरलाइंस करोड़ों का मुनाफा हासिल करती हैं वहीं सरकार को टैक्स के रूप में मोटी रक़म मिल जाती है.
मक्का के ‘चैंबर ऑफ कॉमर्स’ के मुताबिक पिछले वर्ष 10 दिनों की हज यात्रा में 10 अरब डॉलर की कमाई हुई.
सार्थक निवेश
निजी क्षेत्र को हज के दौरान भारी मुनाफा होता है जो वह ज़मीन और मकानों में निवेश करके हासिल करता है.
इस्लाम की जन्म स्थली मक्का में किराया सऊदी के किसी भी दूसरे इलाके से महंगा होता है. मस्जिद से सटे होटलों के किराए तो आसमान छूते हैं. यहां एक रात के 700 डॉलर तक देने होते हैं.
मक्का के रियल स्टेट टाइकून मोहम्मद सईद अल जहनी कहते हैं कि उन्होंने मक्का में पहली बार एक मीटर ज़मीन 15 रियाल में बेची थी जिसकी कीमत अब 80 हजार रियाल हो गई है.
मुहम्मद जहनी कहते हैं, ”मांग के मुकाबले आपूर्ति कम है. तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पिछले वर्षों में काफी होटल और इमारतें बनाई गई हैं.”
मक्का में कई पारंपरिक धरोहरों की जगह जगमगाते गगन चुंबी होटल बनाए जा रहे हैं जो इतने महंगे हैं कि यहां रहना सभी यात्रियों के लिए संभव भी नहीं है.
मक्का
मक्का की यादगार तस्वीरों को बेचने का भी यहां एक लंबा-चौड़ा व्यवसाय है जिसकी सीधी कमाई का ठीक-ठीक अनुमान तो नहीं लगाया जा सकता लेकिन इसमें भी हर साल अरबों की कमाई होती है.
कुछ हज यात्री ऐसे भी हैं जिन्हें मक्का में धन खर्च करना धार्मिक काम लगता है. ऐसे ही एक हज यात्री हैं अब्दुर्रहमान जिनका कहना है, “मुझे नहीं लगता है कि यहां के दुकानदार मतलब परस्त हैं, इस बहाने हम अपने मुसलमान भाइयों की मदद करते हैं जो कि बड़े पुण्य का काम है”
वैसे, सच भी यही है कि चाहे यहाँ आना कितना भी महंगा क्यों ना पड़ता हो यात्री तो फिर भी आते ही हैं. इसलिए भी क्योंकि हज कहीं और तो हो नहीं सकता.