‘पाक सैनिकों ने लड़ा कारगिल युद्ध’

पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्यशासक परवेज मुशर्रफ की ओर से कारगिल में मुजाहिदीनों के वेष में पाकिस्तानी सैनिकों की मूर्खतापूर्ण व दुस्साहसिक हरकत और उसे छुपाने का पर्दाफाश उस समय के आइएसआइ की एनालिसिस विंग के प्रमुख शाहिद अजीज ने कुछ नए तथ्यों के साथ एक लेख में किया है। पाकिस्तानी अखबार ‘द नेशन’ में ‘पुटिंग अवर चिल्ड्रन इन लाइन ऑफ फायर’ शीर्षक से 6 जनवरी को छपे अजीज के लेख ने पाकिस्तान में हलचल पैदा कर दी है। पाक सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल अजीज ने कहा है कि कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की तरफ से मुजाहिदीन नहीं बल्कि पाक सेना के जवान लड़ रहे थे।

अब तक पाकिस्तान ये कहता रहा है कि कारगिल में हमला करने वाले आतंकवादी थे। लेख में शाहिद अजीज ने कहा है कि कारगिल में हमला झूठे अनुमानों पर आधारित एक बेकार योजना थी। बाद में जनरल मुशर्रफ ने इस पूरे मामले को दबा दिया और पाकिस्तानी जवानों को चारे की तरह इस्तेमाल किया गया। अजीज ने लिखा, ‘कारगिल की लड़ाई में कोई मुजाहिदीन नहीं था। सिर्फ वायरलेस पर मुजाहिदीन के नाम को लेकर झूठे संदेश भेजे जा रहे थे। इससे किसी को बेवकूफ नहीं बनाया जा सका। हमारे सैनिकों को हथियार और गोलाबारूद के साथ खंदकों में बिठाया गया था।’

पाकिस्तानी जवानों को कहा गया था कि भारत हमले का जवाब नहीं देगा, लेकिन भारत ने जब जवाबी हमला किया तो न सिर्फ पाकिस्तानी जवान अलग-थलग पड़ गए, बल्कि उनकी चौकियों का भी संपर्क कट गया।

पूर्व जनरल ने कहा, ‘कारगिल की तरह हमने जो भी बेमतलब की लड़ाइयां लड़ी हैं, उनसे हमने कोई सबक नहीं सीखा है। वास्तविकता यह है कि हमारे गलत कामों की कीमत हमारे बच्चे अपने खून से चूका रहे हैं।’ उन्होंने युद्ध के लिए पूर्व सैन्य शासक को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मुशर्रफ और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इस युद्ध के बारे में पता था। मुशर्रफ नक्शों के साथ नवाज शरीफ से मिलते थे।

उनके मुताबिक पाक सेना ने अंतरराष्ट्रीय और वास्तविक हालात को समझे बिना कारगिल में लड़ाई शुरू की। 1999 में लड़ी गई इस लड़ाई के पीछे पाक सेना का मकसद सियाचिन पर कब्जा करना था।

लेख के आखिर में चंद सवाल उठाते हुए वह लिखते हैं, ‘राष्ट्रहित के नाम पर हम अब भी ऐसे ही मूर्खतापूर्ण कामों में जुटे हैं। हम शहीदों के ताबूतों पर और कितने मेडल रखेंगे? कितने और गीत गाएंगे? अपनी चुप्पी के पीछे हम और कितने शहीदों की शहादत को छुपाएंगे? अगर युद्ध के पीछे कोई मकसद हो, तो हम सीमा पर लड़ने को तैयार हैं, लेकिन अगर उसकी सच्चाई को छुपाना पड़े तो लोग सवाल उठाएंगे ही कि आखिर यह लड़ाई क्यों लड़ी गई।’

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