मुशर्रफ पर राजद्रोह का मुकदमा चलेगा या नहीं, आज होगा तय

mushrrafइस्लामाबाद। पांच वर्षों के निर्वासित जीवन बिताने के बाद पाकिस्तान पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ के लिए मुश्किलों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। उनका नामांकन खारिज कर देने के अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है। इस याचिका में मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की गई है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। हालांकि इस सभी के बीच उनके लिए एक राहत भरी खबर यह है कि अब उन्हें चित्राल संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गई है।

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की एक तीन-सदस्यीय खंडपीठ करेगी। यह याचिका रावलपिंडी उच्च न्यायालय बार ऐसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष तौसिफ आसिफ ने दायर की है।

सोमवार को होने वाली सुनवाई में न्यायपीठ यह तय करेगी कि लगभग चार साल के आत्म-निर्वासन के बाद हाल में पाकिस्तान लौटे मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मामला शुरू किया जाए या नहीं। पीएमएल-नवाज ने भी निर्वाचन आयोग के समक्ष आवेदन दाखिल कर मुशर्रफ के चार मामलों में आरोपी होने का हवाला देते हुए उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य करार देने की मांग की है। इनमें बेनजीर भुट्टो की हत्या और 2006 में एक सैन्य अभियान में बलूच नेता अकबर बुगती की हत्या के मामले शामिल हैं।

पाक में 11 मई को चुनाव होने वाले हैं। मुशर्रफ का जो नामांकन खारिज हुआ है उसे उन्होंने पंजाब प्रांत के एक निर्वाचन क्षेत्र से दाखिल किया था। अधिकारियों के मुताबिक, मुशर्रफ का नामांकन इस आधार पर खारिज किया गया है कि नॉमिनेशन पेपर पर उनका जो साइन था वह उनके राष्ट्रीय पहचान पत्र पर के साइन से अलग था। इसके अलावा एक वकील ने भी मुशर्रफ की उम्मीदवारी पर सवालिया निशान लगाए हैं। उसका कहना है कि मुशर्रफ ने संविधान की धारा 62 और 63 का उल्लंघन किया है। इन धाराओं के मुताबिक, चुनाव में शरीक होने वाले उम्मीदवार को अच्छे चरित्र वाला और समझदार और ईमानदार होना चाहिए। मुशर्रफ ने एक और निर्वाचन क्षेत्र से जो नामांकन दाखिल किया है, उस पर भी एक शख्स ने आपत्ति जताई है।

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