असम की हिंसा के बाद मुंबई में तनाव फैला, और अब बैंगलोर में तनाव है
असम में पिछले दिनों फूटी जातीय हिंसा का असर दक्षिण भारत के बंगलौर और हैदराबाद शहरों में हुआ है.
जहाँ बंगलौर में रह रहे उत्तर-पूर्वी राज्यों के हजारों लोग इस डर से शहर छोड़ कर भाग गए हैं कि कहीं उन पर हमला न हो जाए, वहीं हैदराबाद में असम और अन्य पूर्वोत्तर के राज्यों से आए लोगों के बीच भय व्याप्त है.
असम के कोकड़ाझाड़ जिले में बोडो जनजाति और बंगाली मुसलमानों के बीच व्यापक दंगे भड़क उठे थे जिनमें तीन लाख से ज़्यादा लोगों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ा था.
हाल में असम में मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा के विरोध में जब मुंबई में मुसलमानों के संगठनों ने रोष प्रदर्शन किया तो वहाँ हिंसा हुई थी जिसमें दो लोग मारे गए थे और अनेक अन्य घायल हो गए थे.
कुछ समय पहले महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुए बम धमाकों के बाद भी ये कहा गया था कि इन बमों के जरिए उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोगों को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी.
19 साल की रीमा अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली हैं और बैंगलोर में मनोविज्ञान में बीए कर रही हैं. उनकी परीक्षाएँ चल रही हैं, लेकिन हिंसा के डर से वो बैंगलोर छोड़ कर जा रही हैं.
रीमा ने कहा, “मुझे बहुत डर लग रहा है. पिछले दो दिनों से मैं घरों से बाहर नहीं निकली हूँ. मेरे दोस्तों ने कहा है कि घर से बाहर मत निकलना. ये अफवाह नहीं है.”
रीमा आगे कहती हैं, “मेरे दोस्त के भाई को उनके मकान मालिक ने घर से निकाल दिया. वो तीन चार दिन पहले वापस जा चुके हैं. मैं भी अपना सामान तैयार कर रही हूँ.”
ये पूछे जाने पर कि वो अपनी परीक्षा बीच में छोड़कर क्यूँ जा रही हूँ, तो रीमा ने कहा, परीक्षाएँ जिंदगी से ज्यादा कीमती तो नहीं हैं ना.
उन्होंने कहा, “उत्तर पूर्व के छात्र इतनी दूर से यहाँ पढ़ने आते हैं. और ये ज्यादातर छात्र किसान परिवार से आते हैं. लोग बड़ी तकलीफ से अपने बच्चों को यहाँ पढ़ाने के लिए भेजते हैं.”
रीमा को उनके एक दोस्त ने एसएमएस में लिखा था, “आप देर रात बाहर अकेले नहीं जाएँ, रात में किसी मुस्लिम इलाके से नहीं गुजरें.”
बैंगलोर के ही एक और छात्र रॉबिन ने बीबीसी को ऐसे कई एसएमएस भेजे जिनमें उत्तर-पूर्व भारत, भूटान से छात्रों के भागने की बात कही गई है.
रॉबिन ने बताया कि लोगों को कथित ऐसी धमकियाँ मिली हैं कि 20 अगस्त ईद के बाद उत्तर-पूर्व के लोगों पर हमले होंगे, और उन्हें इसी का डर है, हालाँकि अधिकारी भरोसा दिला रहे हैं कि डरने की कोई बात नहीं है.
एक एसएमएस में ब्रिगेड रोड पर मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल पर छात्रों पर कथित हमले की बात कही गई है.
इन एसएमएस में कितनी सच्चाई है, ये साफ नहीं है.
क्या भागना ही उपाय है. अब भागने का नहीं जागने का समय है.
क्या लाखो भाई बहन दर से भाग रहे हैं!
स्वामी विवेकानंद ने कहा है उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको