सिंहों की संख्या कम तो क्या शेर बिल्ली बन जायें-महामंडलेश्वर सिया वल्लभदास

ऽ अखिल भारतीय वैष्णव बैरागी परिषद के सम्मेलन में बडी संख्या में प्रदेश से आये लोग
ऽ राष्ट्रीय अध्यक्ष आरके वैष्णव ने मोबाईल से किया संबोधित वक्ताओं ने रखे विचार
ऽ सरकार के मंदिर,मठों की जमीन पर कब्जा,पुरोहित कार्य अन्य वर्ग सौंपने की निंदा,विरोध

DSC_0189 (1)डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
नरसिंहपुर/श्रीवैष्णव समाज सदा-सदा से मार्गदर्शक रहा है उसके त्याग और बलिदान के कारण ही सनातन धर्म को कुचलने के कुचक्र में दमनकारी कामयाब नहीं हो सके हम उन सूरवीर संतों की संताने हैं जिन्होने धर्म की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुतियां दे दी यह बात श्रीवैष्णव कुलभूषण श्रीमंत आचार्य महामंडलेश्वर श्रीश्री सियावल्लभ दास जी ने कही। वह नरसिंहपुर के तुलसी मानस भवन में आयोजित अखिल भारतीय वैष्णव बैरागी परिषद द्वारा आयोजित सम्मेलन में बडी संख्या में पधारे स्वजातिय बंधुओं को संबोधित कर रहे थे। श्रीमंत जी ने कहा कि कई जगहों पर कहा जाता है कि श्रीवैष्णव की संख्या कहीं कहीं कम है इस पर वह कहते हैं कि सिंहों की संख्या कम होती है फिर भी राजा होता है अगर वह यह सोचले कि संख्या कम है तो क्या वह बिल्ली बन जाये?उन्होने कहा कि श्रीवैष्णव की महिमा सारे वेद,पुराण स्वयं गाते हैं श्रीमद्भागवत के प्रथम एवं अंतिम श्लोक का भावार्थ बतलाते हुये कहा कि श्रीवैष्णव को ही इसको वाचन का अधिकार दिया गया है और वैष्णव धर्म का पालन करने वालों को श्रवण करने का। कहने का मतलब साफ है श्रीमद्भागवत पुराण श्रीवैष्णव का आभूषण है जिसका वाचन करके अनेक कथा वाचक अपनी आजीवका चला रहे हैं। उन्होने कहा कि राज्याभिषेक के समय राजा कहता है कि अदंडेव अस्मि जिस पर श्रीवैष्णव संत सिर पर दण्डा रखते हुये कहते हैं कि तुम्हें हम दण्ड दे सकते हैं। अर्थात् राजा के सिर पर भी दण्डा मारने का अधिकार भी श्रीवैष्णव को दिया गया है। संसार में सभी को भगवान ने सनातन धर्म का बनाया है अगर नही ंतो प्रमाण देता हुं कि सभी की अंगुलियों में शंख,चक्र के निशान क्यों होते हैं? महामंडलेश्वर जी ने कहा कि अरब के राजा जब जय श्रीराम बोल सकते हैं तो देश में आपत्ति कैसी? प्रसिद्ध कथा वाचक मुरारी बापू की राम कथा के समय अरब राजा का जयश्रीराम का जयघोष करना एवं श्रीराम मंदिर के लिये जमीन देना क्या यह हमारे हमारे लिये कम गौरव की बात है। इस अवसर पर गर्व से कहो हम वैष्णव हैं स्टीकर का महामंडलेश्वर वेदांती जी ने एक स्टीकर का विमोचन भी किया । उन्होने कहा कि आगामी समय में केन्द्र सरकार द्वारा जनगणना करायी जायेगी जिसमें सभी अपनी जाति में वैष्णव जरूर लिखायें।
सरकार की नीति नीयत पर आपत्ति-
महामंडलेश्वर सियावल्लभदास जी ने कहा कि सरकार की दृष्ट्रि मंदिर,मठों,शालाओं की जमीन एवं सम्पत्ति पर है जो कि गलत है उसका में विरोध करता हुं जब सरकार ने इसको दिया नही ंतो उसका अधिकार कैसा?उन्होने कहा कि राजा-महाराजाओं सहित अनेक दानवीरों ने अपनी सम्पत्ति को दान में दिया है। वहीं सरकार को चर्च,मदरसे,मजार सहित अन्य धर्म और पंथों की जमीनों पर आपत्ति क्यों नहीं? उन्होने मध्यप्रदेश सरकार के उस फैसले का विरोध किया जिसमें अन्य वर्ग को पुरोहित की शिक्षा देकर उन्हे पुजारी,पुरोहित बनाने का निर्णय लिया है। महामंडलेश्वर जी ने कहा कि सभी एकजुट होकर इस बात का विरोध करने की आवश्यकता है जिसका समर्थन उपस्थित बडी संख्या में लोगों ने किया। सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुये उन्होने कहा कि अन्य वर्ग के लोग भी अपना कार्य करते हैं पर उनको बदलने की बात क्यों नहीं करते मुख्यमंत्री जी? श्रीमंत जी ने भविष्य में सरकार की मंदिर,मठों तथा पुरोहित कार्य को लेकर बनायी नीतियों का विरोध करने एवं रणनीति बनाने पर भी विचार रखे। अपने प्रेरणादायी उद्बोधन के दौरान उन्होने अनेकों पर उपस्थितों को चिंतन करने पर मजबूर कर दिया जिसके बाद लोगों के चेहरे पर श्रीवैष्णव होने का गर्व गौरव स्पष्ट झलक रहा था।
वेदमंत्रों एवं शंख ध्वनि से गुंजा परिसर-
उक्त सम्मेलन का शुभारंभ प्रथम पूज्य भगवान गणेश एवं श्रीलक्ष्मीनारायण भगवान के पूजनार्चन से किया गया। वेद मंत्रों के उच्चारण एवं शंख की ध्वनि ने संपूर्ण परिसर का धर्ममय बना दिया था। समारोह के मुख्यवक्ता श्रीवैष्णव कुलभूषण श्रीमंत आचार्य श्रीश्री सियावल्लभदास वेदांतीजी महामंडलेश्वर,अखिल भारतीय बैरागी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष मदन दास वैष्णव,युवा प्रदेश अध्यक्ष कमलेश वैष्णव,विधि प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक घनश्याम त्यागी,महंत नारायणदास,अवधबिहारी,ज्ञानदास,शिवकुमार वैष्णव,प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश्वर वैष्णव,नयादास वैष्णव,प्रदेश की महिला पदाधिकारी डा.श्रीमती हंसा वैष्णव,गोपालदास वैष्णव,अवधेश महाराज एवं समस्त मंचासीन अतिथियों ने पूजनार्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। वहीं मंचासीन अतिथियों का पुष्पहारों स्वागत एवं शाल श्रीफल देकर मानवंदना जिला अध्यक्ष नरसिंहपुर नरोत्तमदास वैष्णव,तहसील अध्यक्ष राजू बैरागी,तहसील तेंदूखेडा अध्यक्ष दामोदरदास,तहसील गोटेगांव अध्यक्ष नारायण दास,तहसील गाडरवारा अध्यक्ष महेशदास,तहसील करेली अध्यक्ष बलरामदास एवं उनके पदाधिकारियों तथा प्रदेश युवा परिषद के महासचिव आशीष वैष्णव,जिला महामंत्री शिवशंकर वैष्णव,अजय वैष्णव तथा प्रदेश कार्यकारणी सदस्य श्याम वैष्णव,ब्रजकिशोर वैष्णव,सुरेन्द्र वैष्णव,बसंत बैरागी,सुरेश बैरागी,एवं आशीष वैष्णव समस्त तहसीलों के अध्यक्ष क्रमशःअमित बैरागी,वैभव बैरागी,पवन बैरागी,वीरेन्द्र वैष्णव,मोहित बैरागी,देवेन्द्र बैरागी,दुर्गेश बैरागी सहित उनके पदाधिकारी एवं श्रीमती आरती वैष्णव,श्रीमती सुनीता वैष्णव,श्रीमती भावना वैष्णव,जिला संयोजक रामेश्वर दास,जिला उपाध्यक्ष निर्मलदास,हरिकिशन दास,सुशील दास,दमोदर दास,महेश दास,बलराम दास,मनोज दास,श्याम वैष्णव,सिद्धार्थ वैष्णव,सुरेन्द्र वैष्णव,सुरेश वैष्णव,राजा वैष्णव,रूपेश वैष्णव,अरविन्द वैष्णव,राजेश वैष्णव,भूषण वैष्णव,कमलेश वैष्णव,वीरेन्द्र वैष्णव,पवन वैष्णव,मोहित वैष्णव,सुमित वैष्णव,देवेन्द्र वैष्णव,दुर्गेश वैष्णव,अभिलाष वैष्णव,अभिषेक वैष्णव सहित आयोजन समीति के प्रत्येक पदाधिकारियों ने स्वागत किया।
आयोजन का प्रयोजन और किसने क्या कहा-
इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष आरके वैष्णव मुम्बई ने मोबाईल के माध्यम से उपस्थितों को संबोधित कर आयोजन की सफलता की शुभकामनायें दी। प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता राजेश्वर वैष्णव ने आयोजन के प्रयोजन के बारे में विस्तार से बात रखते हुये शब्दों के माध्यम से सभी का स्वागत किया। वहीं प्रवक्ता डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव ने कहा कि श्रीवैष्णव समाज के त्याग और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है। 1857 की क्रांति को याद किया जाता है परन्तु उसके पूर्व 1842 का बुंदेला विद्रोह जिसका केन्द्र बिन्दु दमोह था कितने लोग जानते हैं?इसके पूर्व एक क्रांति हुई थी जिसको संयासी क्रांति कहा जाता है जिसमें हमारे पूर्वजों ने एक हाथ में शस्त्र लेकर दूसरे में शास्त्र लेकर मुगलों के आतंक को कुचलने में योगदान दिया था। धर्म को बचाने के लिये वीर बंदा बैरागी के त्याग से कौन परिचित नहीं है? वृक्ष मंदिर,शालाओं का निर्माण एवं कंधे पर भगवान को लेकर भीख मांगकर भी धर्म की रक्षा की है। डा.वैष्णव ने कहा कि हम सभी उन गौरवशाली त्यागी तपस्वी लोगों की संताने हैं जो जब-जब जरूरत पडी मैदान में खडा दिखा। अखाडों का निर्माण संतों ने इसी उद्ेश्य को लेकर किया था। वहीं प्रदेश अध्यक्ष मदन दास वैष्णव ने कहा कि अखिल भारतीय बैरागी परिषद समाज को एक सूत्र में बांधने के लिये लगातार कार्य कर रही है। उन्होने आयोजन की सराहना करते हुये सभी को शुभकामनायें दी। दूसरी ओर प्रदेश के युवा मोर्चा अध्यक्ष कमलेश वैष्णव ने युवाओं के संगठित होने पर बल दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम,युवा भूषण सम्मान और परिचय-
उक्त कार्यक्रम के दौरान कृपाली नृत्य एवं स्वर संस्था की संचालक ममता पाठक के नेतृत्व में कु.अनुष्का,कु.अनुश्री वैष्णव,कु.जानवी,कु.आराध्या,कु.रितिका,कु.इशिता ने कत्थक एवं शास्त्रीय संगीत की धुन पर नृत्य कर सबका मन मोह लिया। इसी क्रम में समाज की तीन दर्जन के करीब उदीमान प्रतिभाओं को युवा भूषण सम्मान प्रदान किया गया। समारोह में विवाह योग्य युवक युवतियों का परिचय एवं एक विवाह भी सम्पन्न कराया गया। उक्त कार्यक्रम में प्रदेश भर से बडी संख्या में आये स्वाजातिय बंधु,मातृशक्ति की उपस्थिति रही।

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