वीएस नायपॉल की सार्वजनिक निंदा करने के बाद लेखक और अभिनेता गिरीश कर्नाड ने अब नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर पर निशाना साधा है। कर्नाड ने उन्हें दोयम दर्जे का नाटककार करार दिया है। उनके इस बयान ने तूल पकड़ लिया है। बंगाल के लोग खासतौर से इससे आहत हुए हैं और तमाम ने बयान पर आपत्ति जताई है। पत्रकारों से बात करते हुए शुक्रवार को प्रख्यात नाट्यकर्मी कर्नाड ने कहा, टैगोर महान कवि थे, लेकिन औसत और दोयम दर्जे के नाटककार थे। समकालीन बाग्ला थियेटर ने भी उन्हें स्वीकार नहीं किया। यही वजह है कि उनके लिखे नाटकों में केवल एक या दो पर काम हुआ। जब पूछा गया कि उनके तर्क का आधार क्या है? कर्नाड ने कहा कि बीते 50 साल में भारत ने बादल सरकार, मोहन राकेश और विजय तेंदुलकर जैसे तमाम नाटककार पैदा किए हैं। वे टैगोर से कहीं बेहतर थे। धनी वर्ग से आने के कारण टैगोर गरीब तबके को भी अधिक नहीं समझते थे और उनके नाटकों में भी यह बात दिखती थी। बाग्ला रंगकर्मियों पर भी उनका कोई खास प्रभाव नहीं था।
बीते हफ्ते मुंबई में आयोजित साहित्य सम्मेलन में कनार्ड ने मुस्लिमों पर नायपॉल के दृष्टिकोण के लिए उनकी निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि देश के इतिहास में इस समुदाय की भूमिका का नायपॉल को पता नहीं है। टैगोर के कुछ नाटकों का निर्देशन कर चुके देबाशीष चौधरी ने कहा, कर्नाड का बयान बेतुका है। उसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। दुनिया भर में टैगोर के नाटक प्रसिद्ध हैं। एक अन्य बाग्ला रंगकर्मी वी चक्रवर्ती ने कहा, यह उनका व्यक्तिगत नजरिया हो सकता है। मैं इससे सहमत नहीं हूं। भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कर्नाड के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।