खून की एक जांच से 13 अलग-अलग तरह के कैंसर का शुरुआती अवस्था में ही पता चल जाएगा। इनमें फेफड़ा, कोलोन, लीवर, अंडाशय और अन्य तरह के कैंसर भी शामिल हैं।
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के प्रेसिडेंट (शोध एवं अन्वेषण) बीआर दास ने एक बयान में कहा कि हर व्यक्ति को साल में एक बार ऑनको-श्योर मिनिमल इन्वेसिव टेस्ट करा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कैंसर की जांच के लिए रेडियोलॉजी और पैथोलॉजी की जांच की बहुतायत है लेकिन कैंसर के कुछ जांच ऐसे हैं जिनसे बहुत तरह के कैंसर की पहचान हो सकती है। जांच संकेत देते हैं कि प्रोटीन के अंश जिन्हें पीडीपीज कहा जाता है (फाइब्रिनोजेन डिग्रेडेशन प्रोडक्ट्स) तभी होता है जब कैंसर कोशिकाएं इस बीमारी को फैलाने के लिए अपने आसपास की कोशिकाओं को तोड़ती हैं। यह एक साधारण जांच है। मरीज को सिर्फ खून का नमूना देना होता है। एक जांच का खर्च मात्र 2400 रुपये है।
कैंसर में शरीर में कोशिकाओं का अनियंत्रित ढंग से विकास होता है। इससे जांच में लक्षणों की बहुलता रहती है। भारत में कैंसर के करीब सत्तर प्रतिशत मामलों में उसके बहुत बढ़ जाने के बाद पता चल पाता है जिससे बहुत कम लोग बच पाते हैं। भारत में होने वाली मौतों में नौ प्रतिशत के लिए कैंसर ही जिम्मेदार है। यह जांच निश्चित रूप से कैंसर का पता लगाने के प्रति लोगों को सचेत करेगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में एक समय में 28 लाख कैंसर के मरीज थे और हर साल कैंसर के दस लाख नए मरीज पैदा होते हैं।