श्री राठौड़ ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग प्रदेश में शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए संकल्पबद्ध होकर हरसंभव प्रयास कर रहा हैै। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश के सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानों में नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही को अत्यंत गंभीरता से लेकर नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जायेगी।
चिकित्सा मंत्राी ने अजमेर स्थित जेएलएन मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य एवं जेएलएन अधीक्षक से सम्पर्क कर नवजात शिशुओं की मृत्यु के कारणों के बारे में विस्तार से जानकारी ली एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों का दल गठित कर जांच करवाने के निर्देश दिये। जांच समिति में जेएलएन के अतिरिक्त प्राचार्य डाॅ. राजेश पाठक, मेडिसन विभागाध्यक्ष डाॅ. एच.सी. बडजात्या एवं फार्माेकाॅलोजी विभागाध्यक्ष डाॅ. सुनील माथुर को शामिल किया गया। समिति को तत्काल जांच प्रारम्भ करने के निर्देश दिये गये।
जांच समिति की प्रांरम्भिक रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न स्थलों से रेफर होकर आये पांचों नवजात शिशु अंडरवेट थे व अत्यंत गंभीर स्थिति में जेएलएन में भर्ती किये गये थे। इनमें से एक नवजात न्यूरोथोरेक्स से, 3 सेप्टिसिमिया ग्रस्त व एक साइनोसिस व लो बीपी से गंभीर रूप से पीड़ित था।
चिकित्सा मंत्राी ने प्रदेश में शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए प्रत्येक बीमार नवजात शिशुओं की विशेषज्ञ चिकित्सा केन्द्रों में अत्यंत तत्परता एवं गंभीरता से चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं।
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