महाराजा गंगा सिंह विवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का षुभारम्भ

DSC_9051महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘‘माईग्रेशन, सेटलमेंट, स्टेट फोर्मेशन एण्ड लिटरेचर–ठौड़ बदलाव, बसाव, राज्य रौ गठन अर साहित‘‘ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का षुभाराम्भ आज प्रातः 10 बजे अकादमिक भवन द्वितीय के सभागार में हुआ। उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नारायण सिंह राव ने दिया। डॉ. राव ने संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि प्रवसन के अनेक उदाहरण महाभारतकाल में देखने को मिलते है। मुख्य अतिथि व बीज भाषण प्रो. घनश्यामलाल देवड़ा, पूर्व कुलपति, वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा द्वारा दिया गया। प्रो. देवड़ा ने जांगल देष की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को उद्घाटित करते हुए कहा कि इस क्षेत्र के प्राचिन इतिहास में प्रवसन और बसावट के विभिन्न काल खण्डों में कई प्रमाण मिलते हैं। उन्होने सिथियन, षक, रंगमहल संस्कृति आदि के उदाहरण देकर इस क्षेत्र के वृहद इतिहास को बताया। विषिष्ट अतिथि श्री भवानी शंकर विनोद ने राजस्थानी में अपनी बात रखते हुए देष विभाजन तथा तत्कालीन समस्याओं की और ध्यान अकृष्ट किया। महाराजा गंगा सिंह विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने प्रवसन के सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाष डालते हुए कहा कि कई जातियों ने प्रवसन द्वारा स्थान परिवर्तन किया तथा वे सांस्कृतिक तथा आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न हुई। साथ ही कुलपति ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र से षहरो की तरफ हो रहा प्रवसन चिंता का विषय है। विषिष्ट अतिथि तथा राजस्थानी भाषा साहित्य एवं सस्ंकृति अकादमी के चेयनमेन व जिला कलेक्ट श्री वेद प्रकाष ने संगोष्टि के विषय पर प्रकाष डालने के बाद अकादमी की भावी योजनाओं के बारे में बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. एस.पी. व्यास, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा की गई। इस अवसर पर संगोष्ठी की पत्रिका का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। उद्घाटन सत्र की समाप्ति पर अकादमी की ओर से श्री नितिन गोयल द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. अम्बिका ढाका ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में जवाहर लाल नेहरू विष्वविद्यालय नई दिल्ली, दिल्ली विष्वविद्यालय, पंजाब विष्वविद्यालय, कुरूकक्षेत्र विष्वविद्यालय, गुजरात विष्वविद्यालय, पुरातत्व विभाग राजस्थान सरकार आदि अनेक संस्थाओं से करीब 150 प्रतिभागी भाग ले रहें हैं। 21/03/2017 को चार तकनीकि सत्र हुए। जिसमें जेएनयू. की अदिति सिंह, अनिल कुमार, अंकिता कुमार, अनुराधा, दिपक सोलंकी, रीजा नायर, दिपीका सिंह, सिखा कुमारी, षैली, डॉ. मनीषा चौधरी (दिल्ली विष्वविद्यालय), डॉ. बबीता जैन (बीकानेर), प्रो. षषी देवड़ा, डॉ. सोनु सैनी, डॉ. प्रकाष अमरावत, डॉ. लक्ष्मी नारायण रंगा, डॉ. गिरिजा षंकर षर्मा, डॉ पुरुषोत्तम आसोपा आदि ने पत्रवाचन किया। विभिन्न तकनीकि सत्रो में प्रो. षषी देवड़ा, डॉ. देव कोठारी, डॉ. गिरिजा षंकर षर्मा, डॉ. दलजित सिंह ने अध्यक्षता की । इस अवसर पर जल प्रबधंन एवं षेखावटी की कला पर डॉ. रितेष व्यास और गणेष बेरवाल द्वारा प्रदर्षनी अवलोकनार्थ भी लगाई गई।
विभागाध्यक्ष

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