वन भूमि को छोड़कर सभी तरह की जमीनों पर बसी कॉलोनियों में अब सभी को घर का पट्टा मिलेगा। प्रदेश में 21 नवंबर से 25 दिसंबर तक चलने वाले प्रशासन शहरों के संग अभियान के लिए सरकार ने नियमन के लिए कई तरह की रियायतें दी हैं।
इस फैसले से कृषिभूमियों, विभिन्न विभागों की अवाप्तशुदा, कस्टोडियन, कृषि और शहरी सीलिंग और राजपरिवारों की जमीनों पर बसे हजारों भूखंडधारियों को फायदा मिलेगा। जयपुर में ही ऐसी करीब 1200 कॉलोनियां हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस फैसले पर मुहर लगा दी गई। बैठक के बाद नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि सरकार का यह प्रयास है कि अभियान के दौरान अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले। इसीलिए सरकार ने अधिक से अधिक रियायतें देने की कोशिश की है। इस बैठक में आरयूआईडीपी के लिए सेवा नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई।
अभियान के दौरान होंगे ये काम: 17 जून, 1999 के पूर्व की ऐसी आवासीय योजनाओं जिनमें 10 प्रतिशत से निर्माण हो गए हैं। उनके नियमन हो सकेंगे। इनमें किसी भी प्रकार का निर्मित भवन चाहे किसी भी उपयोग में आ रहा हो। जैसी भी स्थिति में है नियमन किया जाएगा। सेटबैक, सड़क की चौड़ाई जैसी बाध्यताएं भी खत्म।
ऐसी कॉलोनियों में अगर सिवाय चक जमीन पर भी लोग बस गए हैं तो जेडीए, यूआईटी 10 बीघा जमीन तक और अन्य निकाय 2 बीघा तक नियमन कर सकेंगे। इसके लिए सरकारी जमीनों की सामान्य नियमन दर ली जाएगी। जिन कॉलोनियों के मानचित्र उपलब्ध नहीं हैं और प्रमाणित नहीं हैं। उनमें खसरा सुपर इम्पोजीशन की अनिवार्यता खत्म।
ऐसी कॉलोनियों में कोई भी भूखंड इकरारनामे के आधार पर चाहे जितनी बार बिका हो, उसका अंतिम खरीदार के पक्ष में 10 रुपए प्रति वर्ग गज की दर से नियमन हो सकेगा।
पूर्व में 90 बी के तहत जारी पट्टों का अगर पंजीयन नहीं हुआ है तो शिविर में आवेदन करके 31 मार्च, 2013 तक सामान्य नियमन दर पर पंजीयन कराया जा सकेगा। इसमें पेनाल्टी की छूट रहेगी। शिविर में आवेदन नहीं करने पर बाद में नियमन शुल्क दोगुना, ब्याज और पेनल्टी भी ली जाएगी।