-आनंदराज व्यास- जयपुर, औद्योगिक विकास की राजस्थान में नई संस्कृति रचने के साथ ही निवेश प्रोत्साहन के क्षेत्र में भी एक नई इबारत लिखी जा रही है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की उद्योगों के विकास एवं निवेश संवर्धन के प्रति जो सकारात्मक एवं दूरदर्शी सोच है उसके परिणाम आने वाले समय में राजस्थान को देश के अग्रणी राज्यों में शीर्ष स्थान पर पहुंचाने में सार्थक सिद्घ होंगे।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के महत्वपूर्ण फैसलों से कभी बीमारू प्रदेश की श्रेणी में आने वाले राजस्थान में औद्योगिक विकास का नया वातावरण बना है। राज्य में नई औद्योगिक एवं निवेश सवंर्धन नीति-2010 तथा निवेश प्रोत्साहन योजना-2010 को लागू करके राजस्थान के औद्योगिक एवं निवेश के इतिहास में एक नया सुनहरा पृष्ठ जोड़ा गया है। उद्योग संस्कृति में जहां नए आयाम स्थापित हुए हैं वहीं राजस्थान के चहुंमुखी विकास को सुदृढ़ आधार मिला है।
वर्तमान सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों से देश में क्षेत्र की दृष्टि से राजस्थान जैसे सबसे बड़े प्रदेश में औद्योगिक विकास को त्वरितता प्रदान कराने के दृष्टिकोण से लागू की गई नीतियां, उत्पादकता बढ़ाने तथा लघु एवं कुटीर उद्योगों के संगठित विकास तथा निवेश के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित की हैं। राज्य में अब तक तीन लाख चौसठ हजार नब्बे लघु औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं जिसमें 15,221.85 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ है और लगभग एक लाख लोगों को रोजगार मिला है।
राज्य में निवेश के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की पहल पर शुरू की गई राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना में अब तक तियालीस हजार नौ सौ बाईस करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के दो हजार सात सौ सत्तहत्तर प्राप्त आवेदनों में से दो हजार चार सौ पैंतीस आवेदकों को 39808.64 करोड़ रुपये निवेश करने पर विभिन्न सहायता व सुविधाओं के लिए पात्रता प्रमाण पत्र जारी किए गए जिनमें 38 हजार 541 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध हुआ है।
राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना में भू-उपयोग, भूमि खरीद, लीज और निर्माण पर स्टाम्प ड्यूटी में पचास प्रतिशत छूट तथा सात वर्ष की अवधि के लिए विलासिता कर में एक सौ फीसदी छूट एवं विद्युत कर, मनोरंजन कर, मण्डी शुल्क, भूमि कर में 50 प्रतिशत छूट और इकाई द्वारा जमा किए गए करों की पचास फीसदी की सीमा तक अनुदान जिसमें निवेश अनुदान 30 व नियोजन अनुदान 20 प्रतिशत सात वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध होगा। अधिसूचित क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को यह अनुदान या छूट की सुविधा सात वर्षों के स्थान पर दस वर्षों के लिए देय होगी।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के ऐतिहासिक फैसलों का ही परिणाम है कि राज्य के औद्योगिकीकरण के लिए बनायी गई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना भाग्यरेखा सिद्घ होगी। इस परियोजना में दिल्ली और मुम्बई के बीच फ्रेट कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इसी के साथ रीको ने ऊर्जा क्षेत्र में 253 करोड़ की राशि के ऋण स्वीकृत किए गए। रीको ने गत वित्त वर्ष में 1727.22 एकड़ अधिग्रहीत भूमि में से 756.75 एकड़ भूमि को उद्योग क्षेत्र के लिए विकसित किया तथा औद्योगिक क्षेत्रों में 1228 भूखण्ड आवंटित किए। रीको ने भारत सरकार की ए.एस.आई.डी.ई.योजना में 23444.73 लाख की स्वीकृत 29 परियोजनाओं में से 18 प्रोजेक्ट पूर्ण कर लिए गए तथा 11 परियोजनाएं प्रगति पर हैं। भारत सरकार ने इस योजना में 16.54 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की स्वीकृति दी है जो गिलोट औद्योगिक क्षेत्र के लिए दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय उच्च मार्ग-8 फोर लेन लिंक रोड के विकास के लिए होगी।
राज्य की अर्थव्यवस्था में लघुत्तम, लघु उद्योगों के योगदान एवं कम पूंजी निवेश से अधिक रोजगार के अवसर सृजन करने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने माइक्रो, स्मॉल एण्ड मीडियम एन्टरप्राईजेज के लिए एक पॉलिसी पैकेज जारी किया है। इसमें इनपुट कास्ट को कम करने के लिए कर सम्बन्धी रियायतें, उनके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधारों हेतु रिसर्च एण्ड डवलपमेंट प्रयासों, संगठित रूप में इन इकाईयों के कलस्टर में विकास के लिए आधारभूत सुविधाओं के सृजन एवं उत्पादों के मार्केंटिंग वास्ते विशेष प्रावधान किए गए हैं। उत्पादन शोध विकास एवं जांच प्रयोगशाला स्थापित करने पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एसोसियेशन को डीएलसी दर से 50 प्रतिशत दर पर भूमि उपलब्ध कराने का प्रावधान भी रखा गया है। इसमें स्थापना लागत मूल्य की दो करोड़ रुपये तक की सहायता उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के औद्योगिक विकास की समस्याओं को गहराई से समझा। उनका मानना था कि यहां निवेश के लिए आने वाले किसी भी अप्रवासी को कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए। इसीलिए राज्य में एकल खिड़की व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण एवं इसे वैधानिक दर्जा दिए जाने के लिए राजस्थान एन्टरप्राइजेज सिंगल विण्डो एनेबलिंग एण्ड क्लीयरेंस अधिनियम-2011 लागू कर दिया गया है। यह अधिनियम राज्य के सभी जिलों में एक करोड़ रुपये से अधिक की निवेश प्रस्तावों के लिए एक दिसम्बर, 2011 से लागू है। राज्य के हस्तशिल्पियों, दस्तकारों एवं प्रशिक्षित युवाओं को स्वयं का व्यवसाय स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री स्वावलम्बन योजना प्रारम्भ की गई। इसमें प्रति लाभार्थी दो लाख रुपये तक के ऋण पर दो प्रतिशत ब्याज अनुदान का प्रावधान है।
राज्य में शिल्पकारों के विकास, परम्परागत तरीके से मिट्टी के आईटम बनाने वाले दस्तकारों के उत्थान, आधारभूत सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए शिल्प एवं माटीकला बोर्ड की स्थापना की गई। जोधपुर में फुटवियर डिजाईन एवं डवलपमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए स्वीकृति जारी करने के साथ ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलोजी भी प्रारम्भ हो चुकी है। राज्य में दिसम्बर 2008 से जुलाई 2012 तक 475 औद्योगिक उद्यमिता ज्ञापन जारी किए गए जिनमें 78278 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है।
राज्य में बुनकरों की बीमारी के उपचार के लिए सहायता हेतु स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 16 हजार 763 बुनकरों का बीमा कराया गया है। महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना के तहत 6 हजार 972 बुनकरों का बीमा कराया गया है। स्टॉल शुल्क रियायत योजना व शिल्प बाजार सहायता योजना में 1031 व्यक्तियों को 40 लाख 12 हजार 393 रुपये की रियायत दी गई। ब्याज अनुदान योजना में सामान्य वर्ग के एक हजार 794 व्यक्तियों को 30 लाख 41 हजार 205 एवं अनुसूचित जाति के 911 लोगों को 12 लाख 85 हजार रुपये से अधिक अनुदान राशि उपलब्ध करवाकर लाभान्वित किया गया।
जन कल्याणकारी योजनाओं में राज्य में दिसम्बर 2008 से सितम्बर 2012 तक 55 हजार 658 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों का पंजीयन किया गया। इसमें 8449.25 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश एवं 3 लाख 45 हजार 660 व्यक्तियों को सीधा रोजगार मिला है। इस अवधि में 53 हजार 261 हस्तशिल्पियों को परिचय पत्र एवं 27 हजार 47 को क्रेंिडट कार्ड जारी किए गए। औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 140 जिला स्तरीय तथा 962 पंचायत समिति स्तर पर औद्योगिक प्रोत्साहन शिविर आयोजित किए गए। स्वयं के उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमिता प्रशिक्षण में 433 व्यक्ति प्रशिक्षणरत हैं। चर्म प्रशिक्षण में 700 एवं गृह उद्योग योजना में 15 हजार 52 महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इनमें से एक हजार 881 महिलाएं वर्तमान में प्रशिक्षणरत हैं।
बीकानेर में स्थापित सिरेमिक प्रशिक्षण प्रयोगशाला में परीक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है। जोधपुर के बोरानाडा में ग्वारगम, हैण्डीक्राफ्ट तथा अन्य विशिष्ट उत्पादों के विकास के लिए उच्च श्रेणी के अनुसंधान विकास केन्द्र की स्थापित की गई। राज्य में जनशक्ति की रोजगार क्षमता बढ़ाने एवं नियोजकों को उनके कार्य के लिए उपयुक्त मानवशक्ति उपलब्ध कराने के लिए Óटे्रन टू गेनÓ योजना लागू की गई। महिलाओं के कौशल एवं तकनीकी उन्नयन के लिए जॉब आधारित सहप्रशिक्षण योजना भी शुरू की गई। उद्यमियों के लिए राज्य फैसिलिटेशन काउन्सिल का गठन किया गया ताकि लघु उद्योगों को सप्लाई किए गए माल का भुगतान समय पर प्राप्त न होने की स्थिति में सहायता की जा सके।
राज्य में हस्तशिल्प बाहुल्य क्षेत्रों में कलस्टर विकास कार्यक्रम में 39 कलस्टर्स में 845.98 लाख रुपये व्यय किए जा चुके हैं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एवं इन उद्योगों को सहायता व सुविधा उपलब्ध कराने हेतु राज्य खाद्य संस्करण मिशन गठित किया गया। राजकीय क्रय में लघु उद्यमों के लिए उत्पादों का आरक्षण एवं प्राथमिकता देने तथा बाट और माप अधिनियम तथा पैकेज कमोडिटी रूल्स के तहत लाइसेंस जारी करने एवं अभियोग दर्ज किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में अधिकाधिक ग्रामोद्योग सेवा एवं व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। लवण श्रमिक कल्याण योजना में लवण श्रमिकों की पहचान कर पंजीकरण पश्चात इन्हें बीमा का लाभ दिलवाने तथा गम बूट्स, गोगल्स एवं साईकिल उपलब्ध करवाने के प्रावधान किए गए। इस योजना में इस वित्त वर्ष में 38 लाख रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के योजनाबद्घ प्रयासों एवं महत्वपूर्ण फैसलों के फलस्वरूप यहां औद्योगिक विकास की एक नई तस्वीर बनी है तथा आने वाले समय में भी नि:संदेह औद्योगिक एवं निवेश के क्षेत्र में राजस्थान और आगे बढ़कर कामयाब होगा।
