बेंगलुरू में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो-दिवसीय बैठक समाप्त हो गई है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भूमि अधिग्रहण बिल और इसको लेकर कांग्रेस के आरोप ही प्रमुख रूप से छाए रहे. इसके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का बैठक में भाषण नहीं हुआ. बैठक में पार्टी के बारे में बन रही किसान-विरोधी अवधारणा को लेकर काफ़ी चर्चा हुई.
पार्टी को यह चिंता है कि उस पर किसानों के हितों की उपेक्षा करने, भूमि अधिग्रहण बिल के संबंध में किसानों के समर्थन की अवहेलना और उन पर पड़ने वाले सामाजिक प्रभाव की उपेक्षा करने के आरोप लगाए गए हैं. यह दोनों आरोप कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने लगाए हैं.
आगे किए अपने धुरंधर नेता
इस बारे में पार्टी का पक्ष मज़बूती से रखने के लिए भाजपा ने अपने दो केंद्रीय मंत्रियों को आगे किया.
वित्त मंत्री अरुण जेटली और वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि बहुचर्चित भूमि अधिग्रहण क़ानून का उपयोग सिंचाई, सुरक्षा, विकास और देश के हितों से संबंधित अन्य परियोजनाओं के लिए ज़मीन मुहैया कराने में किया जाएगा.
सीतारमन ने कहा, “ग़लत सूचना देने के इस कैंपेन की हमें चिंता है. हम इसे चलने नहीं देंगे. यह पूरी तरह से आधारहीन है.”
भाजपा पहली पार्टी है जो पिछले 30 साल में बहुमत से चुनाव जीत कर सत्ता में आई है.
यह भी पहली बार है जब लोकसभा चुनावों में कांग्रेस 44 सीटों तक ही सीमित रह गई और इसे संसद में नेता प्रतिपक्ष के पद से भी हाथ धोना पड़ा.
इसके बावजूद केंद्र में सरकार चलाने वाली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मे कांग्रेस का लगाया आरोप ही छाया रहा. (इससे पहले एक बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक और बैठक हुई थी जिसमें अमित शाह को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था.)
भाजपा छेड़ेगी मुहिम
कांग्रेस के कैंपेन से निपटने के लिए भाजपा ने अपने सभी नए और पुराने कार्यकर्ताओं से हर गांव में जाकर इस अवधारणा के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए कहा है. अरुण जेटली ने कहा भाजपा द्वारा किए गए “किसानों के हितों के लिए” किए गए बदलावों के बारे में जानकारी देने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं. जेटली ने कहा, “भूमि अधिग्रहण बिल देश के विकास से जुड़ा है. इसके साथ हम एक ऐसे विकास के मॉडल की कोशिश कर रहे हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को उछाल मिलेगा- जिसका लाभ ग़रीबों को नौकरियों और राज्य द्वारा चलाए जाने वाले ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के रूप में मिलेगा.”
कांग्रेस का साया
पर पार्टी की बैठक में कांग्रेस के आरोप ही केंद्र बिंदु बना रहा. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने उद्घाटन भाषण में कांग्रेस पर हमला बोला. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि शाह ने कहा कि कांग्रेस के पास उठाने के लिए कोई मुद्दा बचा ही नहीं. उन्होंने कांग्रेस को आधारहीन और बेकार के मुद्दे उठाने की बजाय पार्टी के खोए नेता को ढूंढ़ने की नसीहत दे डाली.
शाहनवाज़ हुसैन ने राहुल गांधी के नहीं होने को ले कर तंज कसा, और कहा “क्या आप संजीदा है.?”
बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए पर निशाना साधा. उनके भाषण में काफ़ी संख्या में आम जनता से लोग थे.
यह पूछे जाने पर कि ‘कमज़ोर कांग्रेस’ के आरोपों से भाजपा प्रभावित क्यों हो रही है, नाम गुप्त रखे जाने की शर्त पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया “इस कैंपेन ने पार्टी को प्रभावित किया है. हमें इस मुद्दे से अधिक पार्टी के प्रदर्शन पर काम करना चाहिए था.”
आडवाणी की चुप्पी
ग़ौर करने की बात ये भी है कि पिछले 35 वर्षों में पहली बार पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कुछ भी नहीं कहा. अरुण जेटली ने बताया, “वे हमारे वरिष्ठ नेता है. वे किसी भी मुद्दे पर बोल सकते हैं और हमें सलाह दे सकते हैं. पार्टी के भीतर हुई किसी चर्चा को मीडिया में नहीं बताया जा सकता, न ही इसकी जानकारी आरटीआई से प्राप्त की जा सकती है.”