युग युगांतर से चली आ रही परंपराऔ मे कुछ बदलाव लाना अति आवश्यकता भरा समय आ चुका है
मस्जिद व दरगाह मे लाखो करोडो रुपये खर्च करने के लिए हम तयार हो जाते हैं
आपने अपने जीवन में कभी ये बातें भी सोची है क्या
हमारे धर्म के बच्चों को शिक्षा हेतु कालेजों में दर दर भटकना पडता है एडमिशन के लिए हमारे पास सभी विकल्प होते हुए भी हम अंधकार में जिवन यापन कर रहे हैं
क्योंकि हमे सही मार्गदर्शन कर्ता नही मिले
हम बच्चों की शिक्षा हेतु लाखो रुपये कालेज वालो को डोनेशन देते है फिर एडमिशन मिलता है क्यो न हम मस्जिद व दरगाह में लाखों करोडो रुपये का खर्च न करे एवं संपूर्ण पैसे को किसी कालेज बनाने में लगाए
जिसे मुस्लिम धर्म का नाम रोशन हो एवं अपने धर्म के बच्चों को कम खर्च में अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके
कालेजों के निर्माण पश्चात अच्छे हॉस्पिटल का निर्माण कार्य करने पर दुःखी एवं निसहाय परिवार को जिवन दान प्राप्त हो सके
हमारा संपुर्ण पैसा पानी की तरह बहाया जाता है उन पैसो का सही उपयोग नही हो पाता है
आज के युग में मस्जिद व दरगाह की आवश्यकता नहीं है क्योंकि है उनकी भी देखभाल नही हो पा रही है
धर्म के लिए सभी बाहे चढाकर लडते नजर आ रहे हैं फिर एकता एवं अखंडता मे दरारे पैदा हो रही है हमारे अंदर कटु भावनाऔ का बिजा रोपण हो रहा है
हम सभी मुस्लिम एक होकर कोई ऐसा कार्य करे जिसे हमारे समाज का नाम गोरवता से लिया जाए
धर्म और समाज दोनों को बचाने हेतु अपने बच्चों को शिक्षा की प्रथम जरुरत है
इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हमसब मिलकर पहले कालेजों का निर्माण होस्टल हॉस्पिटल के पश्चात नई मस्जिद का निर्माण करे
जिसे हमारी आने वाली पीढी के बच्चों को कही भी मोहताज नहीं होना पढे
हमारा लक्ष्य एक हो किसी भी तरह से किसी के बहकावे में न आकर के शिक्षा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के साथ बच्चों के जीवन हेतु कुछ पुन्य के कार्य करना है
अगर मेरी बात से किसी को ठेस पहुँची हो तो माफी का तलबगार हूँ
मौहम्मद हारून खान