राजस्थान लोक सेवा आयोग अपनी स्थापना के 66 वर्ष पश्चात 20 अगस्त 2015 को पहली बार अपनी स्थापना दिवस को समारोह के रूप में मना रहा है। आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री ललित के. पंवार ने 11 अगस्त 2015 को अपना कार्यभार संभालने के साथ ही आयोग की विश्वसनीयता, पारदर्शिता कायम करने के लिए अनेक प्राथमिकताएं तय की और कुछ संकल्प के साथ अपने कार्य की शुरूआत की।
20 अगस्त 1949 को राजस्थान राजपथ में राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन आॅर्डिनेस में इसी अधिसूचना का प्रकाशन हुआ । इससे पूर्व 16 अगस्त 1949 को राजस्थान के तत्कालीन राजप्रमुख महाराजा सवाई मानसिंह के आदेशों से इसकी स्थापना की अधिसूचना जारी की गई थी। इस अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग में जिस तिथि को नियुक्ति किए जाने की अधिसूचना राजस्थान राजपत्रा में प्रकाशित की जाएगी तब से ही यह आयोग प्रभाव में माना जाएगा। राजस्थान के तत्कालीन मुख्य सचिव श्री के.राधाकृष्णन के हस्ताक्षर से नियुक्ति संबंधित अधिसूचना 22 दिसम्बर 1950 को प्रकाशित हुई। इसके साथ ही आयोग का कार्य प्रारम्भ हुआ।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना के प्रारम्भ में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश राजस्थान श्री शरद कुमार घोष को अध्यक्ष तथा पंडित देवी शंकर तिवाड़ी व श्री एन.आर. चादोलकर की नियुक्ति सदस्य के रूप में की गई। जो 25 जनवरी 1950 तक रही । 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू होने पर इस राज्य को विधिवत रूप में राजस्थान नाम दिया गया और इसी दिन महामहिम राजप्रमुख सवाई मानसिंह ने आयोग के उपरोक्त दोनो सदस्य को आगामी आदेश तक सदस्य के रूप में नियुक्त कर दिया और श्री एस.सी. त्रिपाठी (आई.ए.एस.) सेवानिवृत सदस्य फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन जिसे अब संघ लोक सेवा आयोग से जाना जाता है को राजस्थान लोक सेवा आयोग का विधिवत् अध्यक्ष नियुक्त किया जिन्होंने 28 जुलाई 1950 को अपना कार्यभार ग्रहण किया। श्री त्रिपाठी 7 अगस्त 1951 तक अध्यक्ष रहे।
(प्यारे मोहन त्रिपाठी)
उपनिदेशक
सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय अजमेर
