महान सूफी संत ख्वाजा मोहीनुदींन हसन चिश्ती और तीरथ-राज पुष्कर के लिये सारे संसार मे प्रसिद्ध अन्तिम हिन्दू सम्राट पृथवी राज चौहान की नगरी अजमेर से 25 किमी.दूर तथा मार्बल सिटी किशनगढ़ से महज 9 किमी. दूर चारो और पहाड़ियो से घिरा गाँव खोड़ा..यहाँ पर है एक ऐताहासिक और पुराना गजानन जी का मन्दिर है ज़िसे दंतकोट के गणपति और खोडा के गणेश जी के नाम से भी जाना जाता है |
इस मन्दिर का निर्माण आज से लगंभग 800 वर्ष पहले करवाया गया था | जहाँ तक मन्दिर निर्माण और मूर्ति उत्तप्ति का प्रश्न है …….इस बारे मे कई किवदंतियां प्रचलित है पर मुझे मिली सबसे प्रमाणिक ज़ानकारी के अनुसार …..ऐसा कहा जाता है की आज से लगभग 800 वर्ष पहले यह मूर्ति मन्दिर के बिलकुल पीछे एक नहर बहती थी ….उसके किनारे या पाल पर यह मूर्ती स्वत्तःही पहाडो को चीर कर प्रकट हुई थी…।
ऐसा भी कई लोगो द्वारा कहा जाता है की एक बार किशनगढ़ के राजा जी इस खोड़ा के गणेश जी की मूर्ति को किशनगढ़ ले जाकर वहा मन्दिर बनाना चाहते थे और यहा की इस खोडा गणेश जी की मूर्ती को ले जाने के लिये राजा जी ने इसे 100 हाथियो से खिचवाया फिर भी यह एक इंच भी नहीं खिसकी आज मूर्ती ज़िस स्थिती मे है आज से 800 साल पहले भी यह इसी स्थिती मे थी।
अजमेर, किशनगढ़ और आस पास के लोगो का खोडा के गणेश जी में अथाह विशवास और आस्था है …..शादी -विवाह में प्रथम निमंत्रण खोड़ा के गणेश जी को ही देते है …और शादी के बाद नव विवाहित जोडे आशीर्वाद लेने यही आते है …कोई भी नया व्यापार शुरू करने और वाहन लेने पर अधिकांश लोगो खोडा के गणेश जी के दर पर ही आते है ….|
खोडा गणेश मन्दिर में गणेश जी की प्रतिमा के बिलकुल सामने मन्दिर परिसर में विशाल बरगद और इमली के वृक्ष है जहाँ लोग नारियल में लपेट कर मन्नत के धागे बांधते है …और अपनी मनोकामना पूरी होने पर इन्न धागो को दूबारा खोल देते है …और अपने सुखी-विवाहित जीवन के लिये नव विवाहित युगल भी इन वृक्षो की परिकर्मा करते है ।
Special thanks to—-Mr.Deepankar Vaishnav .
पूजारी जी ,खोडा गणेश जी मन्दिर
— Mr. Mahveer Ji Rathore .Khoda.
—-Mr.Teja Ram Ji Meghwanshi .G.M.V.S.
Shyam Sunder Tak (shyamtak001@gmail.com)
Many Many Thanks to Dear Sir… Tejwani Girdhar Ji…. A well-known n reputed personality in journalism from Ajmer to give space to my article in their Popular Online News Portal. ajmernama.com….अजमेरनामा. This article of mine was shared on my Facebook page on…13th December, 2015. And it was edited and shared again on my Facebook Page on 15th June, 2016.