पुष्कर की उत्त्पति के बारे में पोराणिक मान्यतायें—–
विभिन्न समुदायों एवं धर्मों में पुष्कर का महत्व
पुष्कर के बारे में ऐसी मान्यता है के हर गुर्जर को जीवन में एक बार पुष्कर अवश्य आना चाहिए और गुर्जर घाट पर स्नान करना चाहिए l जैन धर्म की मातेश्वरी पद्मावतका पद्मावतीपुरम यहाँ जमींदोज हो चुका है जिसके अवशेष आज भी विद्यमान हैं। इसके साथ ही सिख समाज का गुरुद्वारा भी विशाल स्तर पर बनाया गया है। नए रंगजी और पुराना रंगजी का मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है। जगतगुरु रामचन्द्राचार्य का श्रीरणछोड़ मंदिर, सवाई भोज मन्दिर, देव नारायण मन्दिर, भुणा जी का मन्दिर,निम्बार्क सम्प्रदाय का परशुराम मंदिर, महाप्रभु की बैठक, जोधपुर के बाईजी का बिहारी मंदिर, तुलसी मानस व नवखंडीय मंदिर, गायत्री शक्तिपीठ, जैन मंदिर, गुरुद्वारा आदि दर्शनीय स्थल हैं। पुष्कर में प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को प्रसिद्ध’पुष्कर मेला लगता है | यह मेला कार्तिक महीने से पूर्णिमा तक चलता है अष्टमी की ऐसा माना जाता है कि पुष्कर सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन दिनों पुष्कर में प्रसिद्ध पशु मेला भी लगता है जिसमें करोड़ो रूपये का व्यापार पशुओं की खरीदने और बेचने में होता है | पुष्कर में गुलाब की खेती भी विश्व प्रसिद्ध है। पुष्कर का गुलाब तथा पुष्प से बनी गुलकंद, गुलाब जल इत्यादि बहुत प्रसिद्ध हैं इन सबका का बड़ी मात्रा मे निर्यात भी किया जाता है जिससे करोड़ों रुपयों की आय होती है । विदेशी पर्यटकों के लिये पुष्कर प्रमुख पर्यटक स्थल और आकर्षण का केन्द है |
संकलनकर्ता——-डा.जे.के. गर्ग