
मुख्य अतिथि के रूप में बोलतें हुए प्रो. वासुदेव देवनानी ने संस्कृत को देववाणी के साथ साथ जन वाणी और विज्ञानवाणी कहा। विशिष्ट अतिथी जगदीश चैधरी ने संस्कृत को भाषाओं की जननी बतातेें हुएंे इसकी महत्ता वयक्त की। श्रीरामचन्द्र शास्त्री ने अपने संस्मरणों के साथ संस्कृत जीवन और शैली को आज की आवश्यकता बताई । संरक्षक महंत श्री श्याम सुन्दर शरण देवाचार्य जी ने इस अवसर पर संस्कार, संस्कृत और शिष्टता विषय पर अपनी बात कही। अध्यक्षीय सम्बोधन में कुलपति महोदय ने वेद को अपौरूषेय बताते हुए वर्तमान में इसकी आवश्यकता बताई। इस अवसर पर प्रो. देवनानी जी ने एक कमरा श्री जगदीश चैधरी ने एक कमरा तथा पंडित सुदामा शर्मा ने कुल 1.5 लाख की घोषण की जिसमें 50 हजार स्वयं, 50 हजार विप्र समाज, 50 हजार ब्राह्मण समाज की और से महाविद्यालय भवन निर्माण के सहयोग हेतु कि घोषणा की। अन्त में प्राचार्य महोदय ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
समारोह में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों दी। समारोह में अध्यक्ष कमल किशोर गौड़ ने महाविद्यालय की समस्याओं का समाधान करवानें का विश्वास दिलाया। इस अवसर पर भूपतपूर्व छात्रसंघ महासचिव विष्णु शर्मा, संयुक्त सचिव लोकेश शर्मा, ईकाई अध्यक्ष गजानन्द कुमार, राहुल भारद्वाज, नन्द किशोर गौड़, अनिल नरवाल, करण दाधिच, कुलदीप शर्मा उपस्थित थें।