कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा मामले को संसद से सड़क तक जोरशोर से उठाने वाले भाजपा सांसद अर्जुन राम मेघवाल अब स्वंय समस्या में फंसते नजर आ रहे है। राजस्थान के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायालय ने चूरू के पूर्व कलेक्टर और वर्तमान में बीकानेर से भाजपा के सांसद अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ मुकदमे मे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से पेश की गई एफआर को अस्वीकार कर दुबारा जांच करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच एसपी स्तर के अधिकारी से करवाई जाए। परिवादी हाकम अली ने वर्ष 2011 में एसीबी को शिकायत की थी कि चूरू के तत्कालीन कलेक्टर अर्जुनराम मेघवाल ने अपने पद का दुरुपयोग किया और सैनिक बस्ती में शहीदों की विधवाओं और परिजनों की जगह अपने चहेतों को प्लॉट आवंटित कर दिए। इससे राजकोष को नुकसान हुआ। एसीबी ने नियमित प्रकरण दर्ज किया। बाद में एफआईआर दर्ज हुई और जोधपुर के एएसपी नरपतसिंह ने जांच की। उन्होंने जांच में आरोप प्रमाणित माने, लेकिन मुख्यालय के आदेश से 26 अप्रैल, 13 को न्यायालय में एफआर पेश की गई। परिवादी ने अपने अधिवक्ता तेजकरणसिंह के माध्यम से विरोध याचिका पेश की जिस पर न्यायालय ने एसपी से ऊपर स्तर के अधिकारी को जांच करवाने के आदेश दिए। एसीबी ने 28 अप्रेल, 14 को पुन: एफआर पेश कर दी।
न्यायालय ने विरोध याचिका पर सुनवाई करते हुए अनुसंधान को ढीला माना और एसीबी के डीजी को मामले की जांच एसपी स्तर के अधिकारी से करवाने और आठ सितंबर, 14 तक नतीजा पेश करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय के आदेश के बाद राज्य भाजपा मामले का हल निकालने में जुट गई है।