कृष्ण जी ने नाग देवता को नहीं बल्कि लोगों के प्राण लेने वाले उस दुष्ट हत्यारे कालिया नाग का मर्दन किया था जिसके भय से लोगों ने यमुना नदी में जाना बन्द कर दिया था। कंकड़ मारकर लड़कियाँ नहीं छेड़ते थे, अपितु दुष्ट कंस के यहाँ होने वाली मक्खन की जबरन वसूली को अपने तरीके से रोकते थे और स्थानीय निवासियों का पोषण करते थे। और दुष्ट चाहे अपना सगा ही क्यों न हो, पर यदि वो समाज को कष्ट पहुँचाने वाला हो तो उसको भी समाप्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए, यह भगवान कृष्ण से सीखा है। 16000 लफड़े नहीं थे, नरकासुर की कैद से छुड़ाई गई स्त्रियाँ थी। जिन्हें सम्भवतः समाज स्वीकार नहीं कर रहा था, उन्हें पत्नी का सम्मानजनक दर्जा दिया। वो भोगी नहीं योगी थे। इसलिए उन्हें भगवान मानते हैं। कृपया भविष्य में कभी भी किसी हिन्दू देवी देवता के लिये कोई अपमानजनक बात न तो प्रसारित करें और न ही करने दें। यदि यह संदेश किसी और ने आपको भेजा है तो उसे भी रोकें।.मेरी आप सबसे हाथ विनती है कि अगर आप ओर किसी भी गुरूप में कृष्णा के लिए गलत शब्दों का प्रयोग किया गया मैसेज देखें तो इस मैसेज को वहां पोस्ट जरूर करें।। राधे राधे जय श्री राधे कृष्णा
उल्लेखनीय है कि भगवान के बारे में इस प्रकार की पोस्ट कुछ लोग सोशल मीडिया पर जारी कर रहे थे:-
रविवार 17 तारीख को दुनिया के सबसे बड़े टपोरी का बर्थडे है
कोई ऐसा गुनाह नहीं जो उन्होंने नहीं किया हो……
जेल में जन्म…..
माँ-बाप की हेरा फेरी..
बचपन से लडकियों का चक्कर…
नागदेवता को भी मार दिया……
कंकर मार कर लडकियों को छेड़ना……
16000 लफड़े…..
दो-दो बीवियां…….
अपने मामू का मर्डर….
मथुरा से तड़ी पार…..
फिर भी भाई कभी पकडे नहीं गए….
इसलिए तो उसे मैं भगवान मानता हूँ…
जय श्री कृष्णा
जय श्री श्याम
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