बिरला सिटी वाटर पार्क में आयोजित तीन दिवसीय फेस्टिवल के अंतिम दिन वेद प्रताप वेदिक, प्रांजल धर, अषोक वाजपेई, उर्मिलेष, दुर्गाप्रसाद अग्रवाल और पुरूषोतम अग्रवाल छााए रहे।
सत्र एक – सत्मेव जयते, विषय सच बोलने के खतरे
वेद प्रताप वेदिक ने कहा कि अजमेर महर्षि दयांनंद की भूमि है। महर्षि ने पूरे जीवन में सत्य का अनुसरण किया। सत्य के लिए आपने प्राणों की आहूति दी। इसलिए अजमेर की भूमि नमन के योग्य है। वेदिक ने कहा कि सत्य के कई अर्थ है; सत्य समय, काल और परिस्थितियों के अनसार परिभाषित होता है। सत्य वही है जो बालने, लिखने और कर्म में समान रूप् से ष्षामिल हो। उन्होंने अपने पाकिस्तान दौरे का जिक्रे करते हुए कहा कि मीडिया ने बिना वजह उन पर प्रहार किया है। संसद के दो सांसदों ने ने उन् पर देष द्रोह का मुकदमा चलाने और जेल भेजने की मांग रखी। हकीकत में लोगों को सत्य की जानकारी ही नहीं है। सवाल दो सांसदों का नहीं है। संसद के सारे सांसद भी यह मांग रखे तो भी उसकी बहुत ज्यादा अहमियत नहीं है। उर्मिलेष ने कहा कि सत्य सबके लिए अलग हो सकता है। एक ही बात का सत्य अफगानिस्तान वासयों के लिए अलग और अमेरिका वासियों के लिए अलग हो सकता है। अपने अपने सत्य के लिए लोग मरने और मारने के लिएा आमादा हो जाते है। सत्य मंजिल नहीं खोज की यात्रा है। सत्य बोलने वाले के साथ ईष्वरीय षक्ति होती है। जो उसे ताकत देती है। श्रीपाल षक्तावत ने कहा कि उन्होंने भू्रण हत्या के मामलों के कई स्टिंग आपरेषन किए। हालांकि उन्हें बहुत विरोध और मुसिबतों का सामना करना पडा। लेकिन वो सत्य पर अडिग रहे। उनके खिलाफ कई मुकदमें दर्ज हुए। लेकिन उन्होंने बािलकाओं के संरक्षण के लिए अपना जमीर नही बेचा।
वक्ताओं ने श्रोताओं के ज्वलंत प्रष्नों का उत्तर पूरी षिदत के साथ दिया। सत्र का संचालन संयोजक
कवि रास बिहारी गौड ने किया।
दूसरा सत्र आभासी दुनिया सोषल मीउिया की भूमिका
इस सत्र में प्रांजल धर और दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने वर्तमान में सोषल मीडिया में आई का्रंति पर चर्चा की। प्रांजल धर ने कहा कि फेसबुक यू टयूब वाटस एप् आदि ने लोगों को एक सूत्र में बांधने का काम किया है। लोग सामाजिकता से दूर होते जा रहे थे ऐसे में सोषल मीडिया ने लेागों ने संवाद कायम किया है। दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि सोषल मीडिया पर लिखने वाला लेखक अपनी बात तुरंत करोडो लोगों तक पहुंचा सकता है। तथा उसे उसी समय प्रतिक्रिया भी मिल जाती है। सत्र का संचालन माया भृग ने किया।
तीसरा सत्र – अहिंसक आंदोलन के नैतिक मूल्य
कवि अषोक वाजपेई चिंतक परूषोतम अग्रवाल ने महात्मा गांधी अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के आंदोलनों का उदाहरण देते हुए विषय पर गहन चर्चा की। उन्होंने कहा कि अंहिसक आंदोलनों में जनता दिल से समर्थन करती है आंदोलन सफल होता है। सत्र का संचालन अनंत भटनागर ने किया।
समापन सत्र में संयोजक रास बिहारी गौड ने आगंतुक साहित्यकारों अजमेर लिटरेरी सोसायटी के सदस्यो, सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। बिरला वाटर पार्क और फोर एक्स सिक्यूरिटी का भी धन्यवाद अर्पित किया गया।
मृदुला गर्ग, अषोक वाजपेई और वेदिक ने फेस्टिवल की जमकर तारीफ की।
इस अवसर पर सोमरत्न आर्य, नवीन सोगानी, रमेष ब्रहमवर, दीलिप पारीक, ष्षरद खंडेलवाल, गिरीष टांक, डाॅ संजय भर्गव, रजनी भार्गव, रेखा गोयल, विरेदं्र चैहान, ललित जैन, बाबूलाल अग्रवाल इंदू जैन, पूनम पंाडे, निरजंन महावर, रीना वयास, अजय भटनागर, राजेष गोयल, संजय सिंह, सुरेष मंगल, श्रीराम फतहपुरिया और अषत गौड उपस्थ्ति थे।