सांसद साक्षी महाराज के बयान पर ऐतराज क्यों

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि हिन्दू परिवारों में चार बच्चे पैदा करने चाहिए। इस बयान को लेकर देशभर में बवेला बना हुआ है। कहा जा रहा है कि वह बयान सरकार के ‘हम दो हमारे दो के नारे के खिलाफ है। तर्क यह भी है कि देश की बढ़ती आबादी को देखते हुए सीमित परिवार ही अच्छा है। बढ़ती आबादी की वजह से देश के सभी संसाधन कम पड़ रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि साक्षी महाराज के ही बयान को गलत क्यों ठहराया जा रहा है? क्या देश में मजहब के आधार पर मुस्लिम परिवारों में चार पत्नियां रखने और अनगिनत बच्चे पैदा करने की छूट नहीं है? जब हमें साक्षी महाराज के बयान में दोष नजर आता है तो फिर मजहब के आधार पर छूट नजर क्यों नहीं आती? यह सही है कि तेजी से बदलते हालातों में अब हर मुसलमान भी चार पत्नियां नहीं रख रहा है और न ही एक व्यक्ति चार पत्नियों से अनगिनत बच्चे पैदा कर रहा है, लेकिन साक्षी महाराज जैसे हिन्दुओं के झंडाबरदारों को चार बच्चे करने वाली बात कहने का अवसर इसलिए मिलता है कि मजहब के नाम पर मुसलमानों को छूट मिली हुई है, भले ही अधिकांश मुसलमान इस छूट का फायदा नहीं उठाते हों। असल में अब मुसलमानों को भी अपनी ओर से सामाजिक सुधारों की पहल करनी होगी। जब दुनियाभर में आतंकवाद बढ़ता जा रहा है और सबसे ज्यादा हालात मुस्लिम देशों के ही खराब हैं, तब भारतीय मुसलमानों को चाहिए कि वे अपने मुल्क के विकास में भागीदारी निभाएं। देश में सिविल कोड लागू करने की पहल यदि मुसलमानों की ओर से हो तो यह देश के हित में होगा। आज मुसलमान जितने सुकून और तरक्की के साथ भारत में रह रहा है, उतना किसी अन्य देश में नहीं। भारत के मुसलमानों के सामने पड़ौसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान आदि के उदाहरण हैं। मुसलमानों को देश के उन राजनेताओं से सावधान रहना चाहिए जो सिर्फ वोट की खातिर मुसलमानों के हमदर्द बनते हैं। भारत और पाकिस्तान एक साथ ही आजाद हुए। पाकिस्तान पूर्णरूप से मुस्लिम राष्ट्र रहा और भारत धर्मनिरपेक्ष। हमारे सामने दोनों देशों के हालात मौजूद हैं। जहां पाकिस्तान आतंकवाद का अड्डा बन गया है, वहीं भारत एक ही प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंच रहा है। ऐसा नहीं हो कि बच्चे पैदा करने की होड़ में भारत के हालात पाकिस्तान से भी बदत्तर हो जाएं। मुसलमानों को चाहिए कि देश के संविधान में शिक्षा के लिए जो अधिकार मिले हुए हैं, उसका भरपूर उपयोग करें और उसी कानून को माने जो हिन्दुओं के लिए बने हैं। यदि भारत में रहने वाले मुसलमान और हिन्दू आपस में ही झगड़ते रहे तो वे कट्टरपंथी शक्तियां भारत पर भी हावी हो जाएंगी, जिन्होंने पिछले दिनों पाकिस्तान के आर्मी स्कूल में घुसकर 132 मासूम बच्चों को मौत के घाट उतार दिया था। कश्मीर में जो राजनीतिक हालात हैं, उससे देश के सामने अनेक चुनौतियां खड़ी होती नजर आ रही है। देश के राजनेताओं को भी वोट और सत्ता का लालच छोड़कर देश के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। पीएम नेरन्द्र मोदी चाहे अमरीका से या जापान से मदद ले लें, लेकिन ऐसा विकास तब धरा रह जाएगा, जब कट्टरपंथी आतंकवादी अपनी हरकतों को अंजाम देंगे। भारत में ऐसे लोग भी सामने आए हैं, जिन्होंने फ्रांस व पेरिस शहर में हुई हिंसक घटना का समर्थन किया है। आतंकवादियों के लिए भारत को निशाना बनाना आसान है कि क्योंकि यहां राजनेताओं की वजह से सामाजिक हालात खराब हैं।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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