
अब जब दुनिया में ताक़त का दम भरने वाले बराक हुसैन ओबामा तीन दिन तक सरज़मीन-ए-हिन्द की आज़ाद फ़िज़ाओं पर से अपना क़ब्ज़ा छोड़कर सऊदी अरब रवाना हो चुके हैं ,तब उनके सफ़र से मुल्क के बेरोज़गारों,किसानों और गरीबी से कराहाती हुई जनता को क्या मिला यह तो बराक हुसैन ओबामा और नरेंद्र दामोदर दास मोदी साहब ही जानेलेकिन देश में बहुत सारी तस्वीरों और विचारों पर चर्चा आरंभ हो गयी है !प्रोटोकाल के विपरीत अपनी ज़ाती दोस्ती साबित करने के लिए नरेंद्र मोदी ने पालम एयरपोर्ट की अगवानी से लेकर चाय बनाने तक के सारे द्रश्यों से यह साबित करने का प्रयास किया कि ओबामा और मोदी जी के बीच कोई अनोपचारिक मित्रता कायम हो गयी है !लेकिन मोदी जी से मैं कहना चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री के रूप में १२० करोड़ भारतवासियों के सम्मान और स्वाभिमान को अपनी ज़ाती दोस्ती पर भेंट नहीं चढ़ाया जा सकता !
ओबामा भविष्य में देश को क्या देंगे यह तो नहीं मालूम लेकिन फिलहाल तो वोह करहाते हुए ,गरीबी से जूझते हुए,दवा-पानी औए मकान से वंचित हिन्दुस्तानियों से कुछ ऐसा ज़रूर लेकर चले गए जिससे एक अनुमान के मुताबिक 50 हज़ार बेरोज़गार अमरीकियों को ज़रूर रोज़गार मिल जाएगा लेकिन मोदी वादीयों को बराक हुसैन ओबामा जो सीख दे गए हैं अगर वोह अपने आदर्श अतिथी के इस प्रवचन को जीवन में उतार लें और भविष्य में धर्म-नस्ल,जाती भेद के उन्मादी नारों और विचारों को एक तरफ़ कर के भारत माँ को आगे बढ़ाने के लिए काम करें तो ओबमाभक्ती का सही अनुसरण होगा !
लेकिन मैं अफ़सोस के साथ कहता हूँ कि देश के इन कम समझ और बिना किसी स्टडी के बोलने वाले लोगों ने अपनी तंग दिली का निशाना भारत के माननीय उपराष्ट्रपती हामिद अंसारी साहब को बनाया है ! हामिद अंसारी साहब के संयुक्त सचिव और उपराष्ट्रपति के ओएसडी गुरदीप सप्पल का तथ्यात्मक जवाब जिसमे कहा गया है कि ‘प्रोटोकॉल के मुताबिक, जब राष्ट्रगान बजता है तो उस कार्यक्रम के प्रमुख और वर्दी में मौजूद लोग सलामी देते हैं और जो लोग सिविल ड्रेस में होते हैं, उन्हे सावधान की मुद्रा में खड़ा होने की जरूरत होती है। गणतंत्र दिवस परेड के दौरान भारत के राष्ट्रपति सेना के सर्वोच्च कमांडर के नाते सलामी लेते हैं और प्रोटोकॉल के मुताबिक उपराष्ट्रपति को सावधान की मुद्रा में खड़ा होना चाहिए।’
सप्पल ने कहा कि जब उपराष्ट्रपति किसी कार्यक्रम में प्रमुख अधिकारी के रूप में मौजूद होते हैं, तो वह राष्ट्रगान के दौरान पगड़ी पहनकर सलामी देते हैं जैसा कि इस साल एनसीसी शिविर में हुआ।
सप्पल का जवाब इस बात का सबूत है कि तंगदिल लोग अपनी आँखों से यह देखने में आज भी माज़ूर है कि अनेक स्थानों पर प्रोटोकाल के विपरीत भारत के माननीय प्रधानमंत्री ओबामा भक्ती में दिखाई देते हैं और दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश की गणतंत्र दिवस की परेड में बराक ओबामा चिंगम चबाते हुए दुनिया को दिखाई देते हैं इतना ही नहीं प्रोटोकाल की सीमाओं को तोड़कर एक रिटायर्ड आई.पी.एस. किरण बेदी जब एक विशिष्ट स्थान पर दिखाई देती हैं तब हामिद अंसारी साहब के सेल्यूट को बिना प्रोटोकाल अधिनियम को पढ़े हुए आलोचना करने वाले लोगों को यह ज़रूर सोचना चाहिए कि अगर मज़हबी नफ़रत ही उनकी आलोचना का आधार है तब ईसाईयत पर रोज़ हमला करने वाले लोगों ने बराक ओबामा के सामने अनेक मसलों पर इस तरह समर्पण का एलान क्यूँ किया ?
मैं अंत में यह कहना चाहता हूँ कि उप राष्ट्रपती हामिद अंसारी साहब एक महान राष्ट्रभक्त हैं ! अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर तथा भारत के राजनायक और उप राष्ट्रपती के पद पर रहते हुए उन्होंने हमेशा सच्चे भारतवासी होने का और ज्ञानी व्यक्ती होने का सबूत दिया है ! आज भी उनका सेल्यूट के संदर्भ में लिया गया फैसला नियमों,परम्पराओं और आस्थाओं के अंतर्गत ही है उस पर गैर ज़रूरी विवाद खड़ा कर साम्प्रदायिक रंग देने का प्रयास चाहे कितने भी बड़े आदमी ने किया हो दुर्भाग्यपूर्ण हैं !
चौधरी मुनव्वर सलीम