गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरीकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि माफ़ी तो तब मांगी जाती है जब कोई अपराध का दोषी पाया गया हो.
साल 2002 के गुजरात दंगों पर माफ़ी मांगने के सवाल पर मोदी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया, “अगर आपको लगता है कि ये इतना बड़ा अपराध था तो दोषी को माफ़ क्यों किया जाना चाहिए? सिर्फ़ इसलिए की मोदी मुख्यमंत्री है उसे क्यों माफ़ कर दिया जाना चाहिए? अगर मोदी दोषी है तो उसे सबसे बड़ी सज़ा होनी चाहिए. लेकिन आप तभी माफ़ी मांग सकते हैं जब किसी अपराध के दोषी हों.”
इससे पहले भी नरेंद्र मोदी ने नई दुनिया नाम के एक उर्दू अख़बार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि अगर वो गुज़रात दंगों के दोषी हैं तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाए.
प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी के बारे में पूछे गए सवाल पर मोदी ने गोल-मोल जवाब देते हुए कहा कि वो बीते ज़माने या भविष्य के पागलपन का बोझ नहीं ढोते और वर्तमान में रहते हैं. उन्होंने कहा कि वे छह करोड़ गुजरातियों के भाग्य को बदलना चाहते हैं और इससे आगे की नहीं सोचते.
सेहत की चिंता की वजह से कुपोषण?
केंद्र सरकार खुदरा व्यापार में सीधे विदेशी निवेश की हिमायती रही है लेकिन भाजपा और कुछ अन्य विपक्षी दल इससे बिल्कुल सहमत नहीं हैं.
गुजरात भारत में व्यवसाय के प्रति अच्छा रुझान रखने वाला राज्य माना जाता है लेकिन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी खुदरा क्षेत्र में विदेशी धन के प्रवेश का ग़लत मानते हैं.
उन्होंने अमरीकी अख़बार वॉल स्ट्रीट को बताया, “इससे स्थानीय सामान बनाने वालों को नुकसान होगा. हमें अपने मैनुफ़ैक्चरिंग क्षेत्र को मज़बूत करना चाहिए ताकि वो विश्व स्तरीय हो सके. उसके बाद विदेशी निवेश की अनुमति दी जा सकती है. लेकिन इस समय निवेश से सबसे अधिक नुकसान भारत में सामान बनाने वालों का ही होगा. छोटे व्यापारी तो फिर भी आयात किए गए सामान को बेचकर लाभ कमा लेंगे.”
गुजरात में कुपोषण की कथित ख़राब स्थिति के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब कुछ लोगों को चौंका सकता है.
मोदी का तर्क था कि गुजरात एक शाकाहारी राज्य जहां मध्यम वर्ग का एक बड़ा तबका रहता है जिसके चलते लोग अपने सेहत का ख़्याल रखते हैं.
उन्होंने कहा, “अगर मां अपनी बेटी से कहती है कि दूध पीयो, तो बेटी ये कहते हुए मना कर देती है कि मैं इसे पीकर मोटी हो जाऊंगी. हम इस धारणा में परिवर्तन लाना चाहते हैं.”