सुरापान करती दूणजा माता

vlcsnap-2015-03-22-23h44m59s109vlcsnap-2015-03-22-23h45m35s222कहा जाता है आस्था और चमत्कार एक ही सिक्के के दो पहलू होते है। जहां आस्था होती है, वहां कोई ना कोई चमत्कार जरूर सामने आता है, ऐसा ही देखने को मिलता है टोंक जिले के दूनी कस्बे मे जहां विद्यमान दूणजा माता की प्रतिमा शराब की बोतले भोग के रूप मे ग्रहण कर जाती है, जहां दूणजा माता मे आस्था रखने वाले जिले मे ही नही वरन् पूरे देष से आते हैं और मन्नत पूरी होने पर माता की प्रतिमा को सुरापान करवाते है वही दूसरी ओर अब तक विज्ञान इस पहेली को नही सुलझा पाया है, पैष है नवरात्र पर टोक से खास रिपोर्ट।

टोंक जिले के दूनी कस्बे में तालाब के किनारे विद्यमान प्राचीन दूणजा माता मंदिर का जहां दुणजा माता की प्रतिमा सुरा पान करती है, इतना ही नहीं माता के मुंह के षराब से भरी बोतल लगाते ही बोतल खाली हो जाती है, और ये परम्परा यहां पर सदियों से जारी है, माता के भक्तों का कहना है कि आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि आखिर सैंकडों बोतलों की तादात में माता सुरापान करती है किन्तु षराब जाती कहां है इसको लेकर आज भी पता नहीं लग सका है, लोग इसे माता का चमत्कार कहते है कि जिसकी जितनी आस्था होती है माता उसका प्रसाद उतना ही ग्रहण करती है, मंदिर के पुजारी की माने तो कि सुरा माता का मुख्य भोग है, जिसका पान माता सदियों से करती आ रही है, शराब समाज के लिये अभिषाप है फिर भी मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालू माता को भोग के रूप मे शराब चढाते है।
वैसे तो दूनी के इस मन्दिर हर समय चहल-पहल रहती है पर विषेषतौर पर नवरात्र पर यहां हमेषा ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, श्रद्धालु माता के दर्षनों के लिए सुदूर क्षैत्रों से आते हैं, खास अ और नवरात्र में मन्नत पूरी होने तक मंदिर में ही रह कर माता से प्रार्थना करते हैं और देवी में प्रसन्न होकर सभी की मनोकामनाऐं पूर्ण करती हैं, कई प्रकार रोग दोष माता के सुमिरन मात्र से ही दूर हो जाते हैं, भक्तों का कहना है कि माता सभी को अभय देने वाली है ओर नवरात्र में माता के मंदिर में रह कर सुमिरन करने से मां प्रसन्न होती है ओर रोग, दोष, भय ओर दरिद्रता का निवारण करती हैं और इनके भक्तों मे ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोग ही नही पढे-लिखे लोगो मे माता के प्रति अटूट विष्वास दिखाई देता है।
जानकारों की माने तो लगभग 1244 ईंसवीं से पूर्व का इतिहास रखने वाले इस मन्दिर मे कई प्रकार किवदंतिया प्रचलित है साथ जहां कहा जाता है कि महाभारत के आचार्य द्रोण ने यहां घोर तपस्या की थी, जिन्हे आर्षिवाद देने देवी खूद यहां आई थी, लेकिन कहते है कि सुबह होने के बाद किसी औरत द्वारा चक्की चला दी गई, जिसकी आवाज से माता यही स्थापित हो गई और तब से यहां पर विषेष जुडाव लोगो मे देखा जाता है, हम आपकों बता दे यह एकमात्र आदमकद मूर्ति है, दोनो समय आरती और प्रसाद वितरण के साथ लोगो को यहां हमेषा जुडाव रहता है, शराब के भोग के बारे मे बताया जाता है कि माता बिना धार तोडे कई बोतले शराब की पी जाती है। वही अग्रेजो के कहने पर राजा द्वारा इसके आस-पास खुदाई करवाकर इसकी परीक्षा ली गई थी, जिसके बावजूद कोई सुराख यहां नही मिला, जिसके बाद लोगो मे दूणजा माता के प्रति आस्था मे और ज्यादा इजाफा हुआ।
दूणता माता के प्रतिमा द्वारा इतनी बडी मात्रा मे शराब का सेवन हमेषा से चर्चा का विषय रहा है, जहां वर्तमान मे विज्ञानिक सोच वाले लोग इससे मानने से इंकार करते दिखाई देते है तों यही के राजा के समय पर अग्रेजों द्वारा पूरे मन्दिर की खुदाई करवाई गई और माता की मूर्ति के पूरे कपडे उतरवाकर मूर्ति को हजारों क्विंटल शराब मुह मे उढंेलने पर भी मूर्ति पूर्व की तरह शराब का सेवन करती रही है, कहते है परीक्षा तो रामायण काल मे माता सीता को भी देनी पडी थी और कलयुग महिला रूप मे देवी के इस कारनामें को कोई कैसे हजम कर पाता है यही कारण है उसके बाद फिर से उसकी जांच की गई कि परन्तु थक-हारकर उनकों को इसे मानना पडा, यहां बाहर से आने वाले जहां इसमे अटूट विष्वास रखते है, वही स्थानीय जनप्रतिनिधि भी यहां की महिमा लोगो को बताते थकने नही है।

Purushottam Joshi
Purushottam Joshi

देखा जाये पूरी दुनिया मे आज भी विज्ञान आस्था के आगे सर झुकाता दिखाई दे जाता है, और कई अनसुलझे रहस्य ऐसे है जहां आकर विज्ञान मूक बन जाता है और अलौकिक शक्ति उस कठिन सवाल को बडी आसानी से सुलझा लेती है, जिले के दूनी स्थित दूणजा माता की प्रतिमा की महिमा भी किसी से कम नहीं हैं जहां आस्था ओर चमत्कार दोनों का अद्भुत संगम है, जहां सैंकडों बार परीक्षा के बाद माता अपने भक्तों पर सदियों से कृपा रस बरसा रही है।
Purushottam Kumar Joshi

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