
बेमौसम बारिश और सरकार की बेरूखी से किसान मरता हुआ नजर आ रहा है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, सभी राज्यो में फसल लगभग 60 से 70 प्रतिशत तक खराब हो गई है। खराबे के बोझ तले किसान दब गया है। हालात यह है कि आलू, बेंगन, टमाटर,टिंडे, आम, तरबूज, मौसमी की फसले तबाह हो गई है। जिसका असर जल्द ही सब्जी मंडियों में आमजन को भुगतना तय माना जा रहा है। बेमौसम बारिश ने किसानों को आर्थिक तौर पर कमजोर कर दिया है। किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंची हुई है।
केंद्र और राज्य सरकार किसानों की दुर्दशा को नजरअंदाज करती नजर आ रही है। एक तरफ पीएम मोदी स्वम् को किसानहितेषी बताते है तो वही दूसरी और उन्ही के मंत्री इन दिनों सेर सपाटे पर है। चुनाव के दौरान आप किसान को ढूंढा करते थे लेकिन आज किसान आपको ढूंढ रहे है। किसानो से मन की बात कार्यक्रम मे भी मोदी जी ने किसान के लिए कुछ ख़ास घोषणा नही की थी। यही कारण है कि एक तरफ बेमौसम बारिश दूसरी तरफ भूमि अधिग्रहण बिल पर सरकार की बेरुखी ने किसानो को आत्महत्या पर मजबूर कर दिया है। बेबस किसान आज सरकार से सहायता मिलने का इन्तजार कर रहा है। अजमेर के निकटम गाँव के किसान ने बताया कि सरकार के मंत्रियों को किसानो की कोई चिंता नही है। उन्हें चिंता होती तो विधानसभा में खराबे का मुयावजे का एलान तय समय तक करने की घोषणा होती है। खराबे का मुयावजा देने के नियमो का सरलीकरण किया जाता है। लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ। सरकार सिर्फ अखबारो में बने रहने के लिए फोटो खीचवाने खेतो में आती है।
सुशील पाल