नाथद्वारा // प्रसिद्ध धार्मिक नगरी नाथद्वारा में बिखरी पड़ी ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने एवं विकास की दिशा में श्री नटराज सोशल ग्रुप द्वारा श्रमदान के द्वारा सार-सम्हाल की जा रही है । नगर में अनेकों मंदिर, बाबड़ी, तालाबों ने प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं धार्मिक मान्यताओं को हजारों सालों के संघर्षों को झेलने के बाद अपने वजूद में छिपा रखा है। आज 10 मई रविवार को इसी कड़ी के दूसरे चरण में श्री नटराज सोशल ग्रुप द्वारा गोविन्द चौक स्थित दर्जियो की बाबड़ी में श्रमदान के जरिये साफ़-सफाई की गयी ।
वर्तमान समय में भू-जल स्तर लगातार गिरने से उत्पन्न जल संकट का मुख्य कारण जल संरक्षण का अभाव है। एक ओर पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है, वहीं उनके संरक्षण की दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं हुए हैं। यदि हम अपने परम्परागत जल स्त्रोतों कुएं, तालाब, बाबड़ी आदि को पुर्नजीवित कर लें तो कुछ हद तक जल संकट से निपटा जा सकता है। बावड़ी को अमूमन प्राचीन काल में कुएं की तर्ज पर बावडिय़ों का निर्माण किया जाता था। इनमें सीढिय़ां बनी होती हैं और प्राकृतिक स्रोत के जरिए बावड़ी में नीचे से ऊपर की ओर पानी आता है। बावडिय़ों से लोगों को अनुमन मीठे एवं शीतल पेयजल की प्राप्ति होती है एवं इससे आस पास के श्रेत्र का भू जल स्तर बढ़ता है।
इसी बात को ध्यान में रख कर आज नटराज सोशल ग्रुप के सदस्य ललित व्यास, अभिषेक पालीवाल, हेमंत राज, कोमल पालीवाल, मनीष गुर्जर, युवराज सिंह बारहठ, रघुवंश मिश्रा, हेमन्त सोमानी,चन्दन मिश्रा, मीनाक्षी रावल, भवनिकांत पंचोली, नरहरि चौधरी, अनीता चौधरी इत्यादि ने अपने साथियों के साथ इस बाबड़ी में फल फूल रही गंदगी काई को श्रमदान कर हटाया, आज इस बाबड़ी की बाहरी गंदगी निकाली गयी, आने वाले अगले रविवार को इस बाबड़ी के पानी को तोड़ कर पूर्णतया साफ़ किया जायेगा ।
इस बावड़ी का पानी पूर्व में श्री नाथजी की सेवा में लिया जाता था, साथ ही नगर के उन परिवारो में इसके जल का उपयोग किया जाता था जो बल्लभ सम्प्रदाय को पुष्टी मार्गीय सेवा करते है ।
एक तरफ जहाँ नाथद्वारा नगर के जागरुक नागरिक नगर को सुन्दर, प्रदुषण रहित करने एवं पर्यावरण में अपनी अहम भूमिका निभा रहे है । वहीं नगर पालिका प्रशासन सुस्त बैठा है इस बारे में नगर पालिका के अध्यक्ष लालजी मीणा से बात करने पर उन्होंने सभी तरह से पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया था । लेकिन उनका यह आश्वासन, आश्वासन तक ही सीमित रहा जबकि नगर के प्रथम नागरिक होने के नाते उनकी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी बनती है कि इन सामाजिक कार्यकर्ताओ को नगरपालिका से हर संभव संसाधन उपलब्ध कराया जाये ।
ASHOKA JAIN
