पुष्करवासियो के हुए सपने चूर. हिन्दुओ की पावन तीर्थस्थली की एक बार फिर हुई उपेक्षा
पुष्करवासियो के लिए एक और बुरी खबर इसे स्थानीय लोग या जनप्रतिनिधियो की नाकामी कहे या राजनीती साजिश आख़िरकार वही हुआ जिसका डर था हिन्दुओ के आस्था का केंद्र जगतपिता ब्रह्मा की तपोभूमि पुष्कर को स्मार्ट सिटी से बाहर कर दिया गया आख़िरकार क्या वजह हो गई की ऐनवक्त पर पुष्कर को स्मार्ट सिटी को बाहर कर दिया गया।गत एक वर्ष में स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च कर कई बेठके आयोजित कर पुष्करवासियो को स्मार्ट सिटी के नाम पर सपने दिखाए वो एक दम धूल में मिल गया लेकिन आश्चर्य की बात तो हे की इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी जनप्रतिनिधियो विभिन्न संगठनो की छोड़ो एक भी स्थानीय लोगो ने इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नही कर पाये । सही हे पुष्कर में हे किसमे आवाज उठाने का दम सब को बस अपने कामो से लेना देना हे इसी का फायदा उठाकर प्रशासन और राज्य सरकार ने आनन फानन में पुष्कर को स्मार्ट सिटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। जबकि पुष्कर एक धार्मिक तीर्थस्थल के साथ पर्यटन स्थल भी हे यंहा प्रतिदिन सेकड़ो देशी विदेशी लोग पुष्कर दर्शन के लिए आते हे । और हिन्दुओ का सबसे बड़ा तीर्थस्थल भी हे उसके बावजूद पुष्कर को स्मार्ट सिटी से बाहर करना एक दुर्भाग्य कहा जायेगा।इसे किसकी नाकामी की जाये आख़िरकार कौन इसका जिम्मेदार हे यह वक़्त किसी पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का नही हे यह वक़्त हे पुष्कर को वापस स्मार्ट सिटी में शामिल करने का अगर अब भी इतना कुछ हो जाने के बाद पुष्करवासि एक नही हो सकते तो वह दिन दूर नही जब पुष्कर का हर विकास का रुपया पुष्कर की जगह और कहि लगता नजर आएगा। यह हमारी कमजोरी कही जायेगी जिसके कारण पुष्कर को इन लोगो ने स्मार्ट सिटी से बाहर करने की जुगत उठाई।
अनिल पाराशर संपादक बदलता पुष्कर।
