सीमा आरिफ की रचनाएं July 14, 2015 by associate सीमा आरिफज़ेहन में मेरे पहले अपना अस्तित्व खॊल दिया अब मुझसे मेरी पहचान का पता पूछते हो ***************** तुझे पा लेने की कोई ख़ास वजह नज़र नहीं आती तुझसे बिछड़ जाने की उम्मीद भी तो मन में घिर नहीं पाती तुम बहुत आम से हो इसलिए आँखों को सुहाए हो तुम साधरण हो तभी दिल में एक जगह ले पाए हो सीमा आरिफ़