स्मार्ट सिटी को लेकर इतना कंफ्यूजन क्यों?

ajmer smart cityदेश की आजादी के बाद राजस्थान में विलय से लेकर अब तक उपेक्षा का शिकार रहे अजमेर की आशा तब जागी, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर अमेरिका ने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए आर्थिक मदद देने का ऐलान किया। इतना ही नहीं ग्राउंड लेवल से लेकर जयपुर-दिल्ली तक इसकी कवायद हुई तो सदा से आशंकित रहे अजमेर वासियों की आशा बंधी कि इस बार जरूर अजमेर का कायाकल्प हो जाएगा। हालांकि आज तक ये कंफ्यूजन आम जनता के बीच कायम है कि स्मार्ट सिटी बनने से होगा क्या, मगर हाल ही मीडिया में आई एक और खबर ने जनता को फिर से कंफ्यूज कर दिया कि राज्य सरकार ने अजमेर सहित राजस्थान की राजधानी जयपुर, उदयपुर व कोटा को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है।
सवाल ये उठ रहा है कि अगर अजमेर को पहले ही स्मार्ट सिटी के लिए चुन लिया गया है और उसमें अमेरिका मदद करेगा तो ये जो राज्य सरकार ने नया प्रस्ताव भेजा है, वह क्या है? सवाल लाजिमी ही है। मगर न तो किसी जनप्रतिनिधि ने ये सवाल उठाया और न ही प्रशासन ने जरूरी समझा कि इस कंफ्यूजन को दूर किया जाए। कैसी बेवकूफी है कि इधर हम स्मार्ट होने की दहलीज पर खड़े हैं और दूसरी ओर अभी तो नए सिरे से प्रस्ताव ही भेजा जा रहा है?
यदि ये माना जाए कि ताजा प्रस्ताव में राजस्थान के चार शहरों में शामिल अजमेर का प्रस्ताव वही है, जो कि पहले से ही फायनल होने को अग्रसर है, तो इससे बड़ी बेवकूफी हो नहीं सकती। जिस अजमेर को लेकर पहले ही काफी बैठकें हो चुकी हैं, यहां तक कि उसमें कथित सहयोग करने वाले पुरस्कृत हो चुके हैं, उसका नाम नए प्रस्ताव में क्यों भेजा गया? अगर केन्द्र ने राज्य के किन्हीं चार शहरों का प्रस्ताव मांगा गया था तो अजमेर को छोड़ कर किसी और शहर का नाम भेजा जाना चाहिए था, क्योंकि अजमेर तो पहले से ही मंजूरशुदा है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन आंख मूंद कर काम कर रहा है। सरकारी फाइलें बिना कुछ सोच विचार किए ही आगे सरकाई जा रही हैं। वस्तुत: यह हमारे प्रशासनिक तंत्र की कुशलता पर सवालिया निशान लगाता है। क्या ऐसी स्थिति को पोपा बाई का राज की संज्ञा देना उपयुक्त नहीं होगा?
होना तो ये चाहिए था कि जैसे ही नए प्रस्ताव का समाचार छपा और अजमेर वासियों में असमंजस पैदा हुआ, अजमेर के दोनों राज्य मंत्रियों को जिला कलेक्टर को तलब करना चाहिए था कि आखिर ये है क्या? इतना ही नहीं राज्य के मुख्य सचिव से भी पूछना चाहिए था कि माजरा क्या है? आखिर वे यहां की जनता के लिए जवाबदेह हैं। चलो, मंत्री तो पूरे राजस्थान में व्यस्त हैं, अजमेर के विपक्षी नेताओं और स्वयंसेवी संगठनों तक ने ये सवाल नहीं उठाया। अफसोस, अफसोस, अफसोस।
ये साबित करता है कि अमेरिकी सहयोग से केन्द्र सरकार लाख चाहे, मगर हम स्मार्ट सिटी के स्मार्ट नागरिक बनना ही नहीं चाहते। भौतिक संसाधनों से जो स्मार्टनेस आएगी, वो आ जाएगी, मगर यदि हम खुद स्मार्ट सिटी को लेकर उठे कंफ्यूजन को दूर करवाने की स्मार्टनेस नहीं दिखाते तो सब कुछ बेमानी है।
तेजवानी गिरधर
7742067000

1 thought on “स्मार्ट सिटी को लेकर इतना कंफ्यूजन क्यों?”

  1. Don’t carry any illusion. History is full of facts that other cities in Rajasthan are far smart than Ajmer!
    (PS: Its not a challenge, its a pain borne by an ordinary citizen of Ajmer for more than 50 years!!)

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