एस.पी.मित्तलदेश को आजाद हुए 68 साल हो गए, लेकिन आजाद देश के हालात अच्छे नहीं कहे जा सकते। उम्मीद तो यह थी कि आजादी के बाद देश मजबूती के साथ खड़ा होगा, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा 15 अगस्त, 2015 को जब हम आजादी के 68 साल पूरे कर रहे हैं, तब देश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी जिस लाल किले से ध्वजारोहण कर राष्ट्र को संबोधित करेंगे, उस लाल किले के चप्पे-चप्पे पर सशस्त्र जवानों को तैनात किया गया है। सवाल उठता है कि क्या आजाद देश में पीएम आजादी के साथ खड़े नहीं हो सकते? दिल्ली ही नहीं देशभर में सुरक्षा के इंतजाम हो रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि 15 अगस्त को देशभर में आतंकी हमले का खतरा है। यहां यह सवाल उठता है कि आखिर आतंकी हमला कौन करेगा? पड़ौसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, चीन, भूटान, नेपाल आदि में इतनी हिम्मत नहीं कि वे भारत में सीधा हमला करें। जब कोई देश हम पर हमला करने की स्थिति में नहीं है, तो फिर आतंकी हमला कौन लोग करेंगे? जाहिर है कि देश में ही ऐसे लोग मौजूद है जो अपनी मातृभूमि को ही लहूलुहान करना चाहते हैं। विगत दिनों ही पाकिस्तान से आए जिस आतंकी नावेद को पकड़ा गया, उसने बताया कि मैं पाकिस्तान से खाली हाथ आया था और मुझे भारत के कश्मीर में एके 47 और दूसरे हथियार उपलब्ध करवाए। भारत में रह रहे लोगों की मदद से ही मैंने सीआरपीएफ की बस पर हमला किया। आज तक भी उन लोगों को नहीं पकड़ा जा सका है, जिन्होंने नावेद को हथियार उपलब्ध करवाए थे। कश्मीर में खुलेआम आईएस के झंडे लहराए जा रहे हैं। कश्मीर में हमारा तिरंगा लहरे या नहीं लेकिन आईएस का झंडा जरूर लहरता रहता है। अब तो आतंकी पंजाब में भी घुसपैठ कर रहे हैं। हम भले ही आजादी का जश्न मनाए लेकिन इस देश में छोटी-छोटी बातों पर साम्प्रदायिक तनाव हो जाते हैं। जो लोग साम्प्रदायिक सद्भावना के दावे करते हैं, वे बताए कि आज 15 अगस्त के दिन देशभर में सुरक्षा के इतने इंतजाम क्यों करने पड़ रहे है। क्या हमारे देश में ऐसे लोग मौजूद है जो पाकिस्तान से आंतकियों को बुलवा कर हमला करवा सकते हैं?
माना तो यह जाता है कि व्यक्ति जिस देश का नागरिक है, वह अपने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान भी कुर्बान कर सकता है, लेकिन भारत में इससे उल्टा हो रहा है। यहां ऐसे लोग मौजूद है जो अपने देश की बली देने को तैयार बैठे हैं। कोई माने या नहीं लेकिन इन 68 सालों में देश के हालात अच्छे नहीं रहे है। वर्ष 1947 में भी देश की एकता और अखंडता का नारा दिया गया था और आज 68 साल बाद भी देश को एकता और अखंडता के लिए चप्पे-चप्पे पर सशस्त्र जवानों को तैनात करना पड़ रहा है। सवाल यह नहीं है इसके लिए कौन सा राजनीतिक दल दोषी है। सवाल यह है कि सरकारों ने ऐसी कौन सी नीति अपनाई जिसकी वजह से देश में आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सलवाद, क्षेत्रवाद आदि को बढ़ावा मिला। देश के विभाजन के समय यह उम्मीद जताई गई थी कि अब विभाजित भारत में अमन चैन रहेगा और इसीलिए देश को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया। आज इस धर्मनिरपेक्ष शब्द को लेकर ही देश के हालात बद से बदत्तर होते जा रहे है। रानीतिक दल अपने निहित स्वार्थों के खातिर ऐसे-ऐसे पैगाम जारी कर रहे है, जिसकी वजह से भाईचारा खत्म होता जा रहा है। क्षेत्रीय दल तो देश की एकता की बजाए अपने वोट की सुरक्षा कर रहे है। यदि देश के लोगों ने अभी भी देश भक्ति नहीं दिखाई तो आईएस जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन भारत में पैर पसार लेंगे। तब मंदिर बचेगा न मस्जिद। आईएस ने जिस प्रकार सीरिया, ईराक, पाकिस्तान आदि मुस्लिम देशों की सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थलों को नष्ट किया है। उससे भारत में रहने वाले लोगों को सबक लेना चाहिए। (एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511