अपने वरिष्ठतम साथी को भुला बैठे वकील ?

राजेन्द्र हाड़ा
राजेन्द्र हाड़ा
अजमेर के वकीलों ने मंगलवार 8 सितम्बर 2013 को अजमेर के नए जिला न्यायाधीश जी आर मूलचंदानी के साथ निगम पार्षद और पंचायत समिति सदस्य बने वकीलों के स्वागत में पलक पांवडे़ बिछा दिए। इस बहाने ही सही लम्बे समय से चला आ रहा जज-वकीलों के बीच के गतिरोध में अल्प विराम लग गया। यह रूकावट के लिए खेद जैसा ही कुछ लगा और अल्प विराम इसलिए क्योंकि यह गतिरोध शुरू हुआ था सुबह 11 बजे शोक सभाओं के आयोजन और उस दिन वकीलों के काम नहीं करने के कारण। डे कोर्ट में सुबह 11 बजे की जगह शाम 4 बजे शोकसभाएं करने और उस दिन काम स्थगित नहीं करने को लेकर जिला न्यायाधीश जनार्दन व्यास के समय से बैंच ने शोकसभाओं में आना छोड़ दिया था। इसलिए ऐसे मामलों में आगे जजों का रूख क्या रहता है और वकील इसे किस तरीके से लेते हैं, भावी संबंध इस पर निर्भर करते हैं। तो बात चल रही थी वकील सदस्यों के कुछ बन जाने पर उनके स्वागत की। ऐसा अक्सर होता रहा है। परंतु 8 सितंबर को वकील अपने एक सक्रिय और वरिष्ठ साथी वकील को भुला बैठे। भाजपा और सरकार में औंकार सिंह लखावत का जो कद है उसे आज तक अजमेर का कोई वकील छू नहीं पाया है। नगर सुधार न्यास अध्यक्ष और राज्य सभा सदस्य रहने के दौरान लखावत ने वकीलों के लिए जो किया उतना हर उस किसी वकील ने चाहे जहां और चाहे जिस पद पर रहा, अब तक नहीं किया है। जिस हॉल में वकील बैठते हैं और 8 सितंबर 2015 को जिस हॉल में यह समारोह हुआ वह औंकार सिंह लखावत की ही देन है। मौजूदा भाजपा सरकार में भी उन्हें राज्यमंत्री का पद हासिल है। धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष का यह पद उन्हें लोकसभा चुनाव के पहले मिला था। इसके बाद लोकसभा के सदस्य बने और फिर केन्द्र में राज्यमंत्री सांवरलाल जाट का सम्मान करते समय भी वकीलों को लखावत की याद नहीं आई जबकि जाट तो वकील भी नहीं हैं। लखावत ने अपने सांसद कोष और यूआईटी फंड से ही योगदान नहीं दिया बल्कि अपने कद का इस्तेमाल करते हुए सांसद रासा सिंह रावत और बाकी विधायकों के कोष से भी बहुत कुछ दिलाया। अदालत की कई इमारतों पर लगे शिलान्यास पत्थर इसकी तस्दीक करते हैं। 8 सितम्बर को भी वकीलों ने राजनीति में एबीसीडी सीखने वाले अपने साथी वकीलों को तो याद किया परंतु उनके हैड मास्साब को ही भूल गए।
-राजेन्द्र हाड़ा 09829270160

error: Content is protected !!