एक बाप की औलाद और नेतागिरी

modi1आज वाट्सएप पर एक वीडियो देखा। सायबर सिपाही लिखा था। पांच-छह युवा बैठे हैं। शानदार कपड़े पहने हुए। डरे हुए। बार-बार जो नाम बोले जा रहे थे उनमें जीतू भाई, विवेक भाई, शुभम शर्मा, जतिन भाई और गौरव भाई। डरे हुए इसलिए क्योंकि वो सभी धर्मों के आदर की बात ज्यादा बोल रहा था।
वो बोले गाय पर। मैने पहले भी कई बार गऊमाता पर लिखा है। इन सभी भाइयों से और भी जो गऊमाता की बातें करते हैं उनसे कुछ बातें पूछना चाहता हूं।
क्या आपने कभी सड़कों पर बैठी गऊमाता के पास रूककर ये जानने की कोशिश करी कि ये सड़क पर किसने छोड़ी और क्यों ऐसा हो रहा है कि हमारी गऊमाता हमेशा सड़कों पर और कचरे के पात्रों के आस-पास ही क्यों मिलती है।
क्या आपने कभी किसी गाय की सेवा करी।वो जो सड़कों पर हरा चारा तीस रुपए का डाला जाता है वो सेवा में शामिल नहीं है क्योंकि वो बुध का दान है जिसमें हरा चारा गाय को खिलाने से धन की बारिश होती है।
क्या आपने कभी किसी गौशाला में पांच हजार, दस हजार, एक लाख की सहायता की।
क्या आपने गौ वंश के पकड़े गए ट्रक कि गायों को पालने कि सोचना तो बहुत दूर की बात है, आपने उन्हें गौ-शाला तक पहुंचाने के लिए कोई प्रयास तो बहुत दूर की बात है क्या ऐसा विचार भी आपके मन में कभी आया।
इसमें एक शुभम मीडिया को कह रहा है कि मीडिया एक बाप की औलाद है तो ऐसा क्यों नहीं करती।
भइया शुभम आप तो महान है। आपका बाप भी एक ही है जो आपके अनुसार अकेले आप ही है जो एक बाप की औलाद है तो आप सौ-डेढ़ सौ गायों को पालना शुरू करें। कुछ करें अपने धन से। और मीडिया पूरा मुकेश अंबानी ने खरीद लिया है तो आप मोदी जी को बताए कि मुकेश अंबानी के कितने बाप है।
दूसरा आपने फरमाया कि गायों को काटा जा रहा है। मोदी जी का राज है।
फिर भी आप या पढऩे वालों से मैं इसका सोल्यूशन जानना चाहता हूं कि जब स्वस्थ गायें ही सड़कों पर छोड़ देते हैं (गौ पालक) और बछड़ा तो जन्म से ही सड़क पर रहता है। फिर जब गाय वृद्ध होती है, दूध देना बंद कर देती है या अस्वस्थ हो जाती है या गौ शालाओं के पास आर्थिक परेशानियों के चलते ये गायें भूख के मारे तड़प-तड़प कर दम तोड़ती है तो ऐसी स्थिति में गऊमाता का मोक्ष कैसे हो?
सबसे खास बात गौ-पालक अधिकतम हिंदू होते हैं। कसाई को गऊमाता और कोई नहीं ये गऊपालक ही बेचते है क्योंकि ये अर्थतंत्र का माला है, व्यापार है। जब उसे गऊ से लाभ नहीं मिलता तो वो इसे बेच देता है और खरीददार को ये ज्ञात है कि ये दूध नहीं दे रही है तो आप समझ ही गए होंगे की वो क्यों खरीद रहा है।
ये एक साइकिल है। गऊ को बचाने के लिए इसे अर्थतंत्र से जोडऩा ही इसका ‘सोल्यूशन’ है। बाकि इस प्रकार गऊ पर नेतागिरी चलती रही तो आने वाले पांच वर्षों में ही ये दिखनी बंद हो जाएगी फिर नेतागिरी का एक मुद्दा हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
आप किसी धर्म,पार्टी के गुलाम न बने। खुले और साफ मन से देशहित की सोचे और उसका हल सोचें। भेड़ न बने। जो गलत है उसे खुलकर बोले तभी जागृति आएगी। अल्पज्ञानी और भेड़े कभी न बने।
वाकई मोदी जी महान है।
बोलते ही है करते नहीं है।
बूचडख़ानों को इम्पोर्ट ड्यूटी में 200 पर्सेंट की छूट और भारत दुनिया का गौ मांस का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट बन गया है अभी हाल ही मैं।

राजीव शर्मा, शास्त्री नगर, अजमेर
9414002571
rajiv63sharma@yahoo.com

error: Content is protected !!