करीब या दूर

sohanpal singh
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अख़बारों में एक समाचार था कि प्रधान श्री मंत्री नरेंद्र मोदी , एक सप्ताह के अमेरिका के सफलतम दौरे के बाद , ,,,,,,,,,,”अमेरिका को और करीब लाये , पी एम् मोदी”,,,,,,,,,,, अब यह तो ख़ुशी की बात है की सात समुन्दर पार का कोई देश , अपने लोकप्रिय प्रधान मंत्री के अथक प्रयासों और छः दिन तक विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श और फोटो सेशन के बाद, अमेरिका भारत के करीब आ गया है । भले ही आने जाने में पूरी रात और दिन लग जाता है ।

वैसे भी राष्ट्रपति ओबामा से हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी की 16 महीनो में तीसरी बार बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में मुलाकात हुई ? बहुत से समझौतों पर सहमति के बाद हस्ताक्षर भी हुए होंगे ? अपने मोदी जी कई बार कह चुके हैं कि उनके और ओबामा के बीच आपसी सम्बन्ध बहुत प्रगाढ़ हैं एक दूसरे को “ओबामा” और “मोदी” कह कर संबोधित करते हैं ! लेकिन हम अभी तक यह समझने असमर्थ हैं कि एक दूसरे को करीब से जानने वाले दो यक्ति, सात समंदरों के फासले बाद भी बेहद करीब आ गए हैं ।लेकिन अपने ओबामा जी जब भाषण देते है तो अपने करीबी दोस्त मोदी को प्रधान मंत्री के स्थान पर Mr President, कह कर संबोधित करते हैं ? क्या यह संभव है कि इतने करीब से जानने वाले भी यह भूल कर सकते हैं?

हमें तो इसमें शक लगता है की ओबामा ने भूल वश Mr President कहा होगा !क्योंकि ऐसा हो ही नहीं सकता, हमें तो ऐसा भी लगता है कि शायद Mr Obama, अपने मोदी जी की पर्सनैलिटी और करिश्माई भाषण कला से इतने प्रभावित हो गए हैं की मोदी जी को अपने समकक्ष देखना चाहते हों और यह मोदी के लिए सार्वजानिक रूप से दिया गया गुप्त सन्देश हो । क्योंकि अब अगले कुछ दिनों में ओबामा का राजनितिक सूर्य अस्तांचल की और जाने वाला है ? जैसे वह चाहते हों कि उनकी जैसी डायनामिक व्यक्तित्त्व का व्यक्ति दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रेजिडेंट बने ?

लेकिन हम नहीं लगता की कभी ऐसा संभव हो सकेगा अगर हो गया तो तो फिर लोकतंत्र के तीन स्तम्भ के स्थान पर हमारा लोकतंत्र केवल दो ही खम्बो पर ऐसे ही लटका हुआ नजर अएगा जैसे किसी कोठी का पोर्च दो खम्बों पर टिका हुआ दीखता है ! क्योंकि मोदी जी का स्वभाव ही कुछ ऐसा है की वह अपने और मीडिया के बीच में किसी व्यवधान कभी पसंद नहीं करते अब चाहे वह एसपीजी के सुरक्षा कवच के सुरक्षा कर्मी हो या कोई और यहां तक की मेजबान को भी बाहं पकड़ कर हटा देने में कोई देर नहीं करते ! जैसा की अभी अमेरिका में वायरल हुए एक वीडियो से साफ नजर आता है कि जब मोदी जी मार्क जुकरबर्ग के आफिस में मिलने के लिए पहुंचे तो एक महिला उनको एक बॉक्स भेंट करना चाहती थी लेकिन तभी जुकरबर्ग वहां पहुंचे और मोदी जी से हाथ मिला कर उनकेे सामने ही खड़े हो गए ! तभी उस महिला ने बॉक्स भेंट करना चाहा लेकिन मोदी जी और वह महिला जुकरबर्ग के कारण कैमरे के फोकस में नहीं थे मोदी जी इस बात को ताड़ गए और उन्होंने तुरंत ही जुकरबर्ग का बांया हाथ पकड़कर उसको अपने दाईं ओर कर दिया और फिर कैमरा के फोकस में आने केबाद ही उस महिला से भेंट स्वीकार की! जो व्यक्ति इतनी छोटी सी बात का भी ध्यान रखता हो उसे वास्तव में इस विशाल लोकतंत्र का राष्ट्रपति तो जरूर ही बनना चाहिए ?

एस पी सिंह ।मेरठ

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