इस लिए भले ही भारत का प्रधान मंत्री किसी पार्टी का नेता या सदस्य होता है चूँकि एक निश्चित अवधि के लिये जब वह प्रधान मंत्री नियुक्त किया जाता है तो जब वह सरकारी सुविधाओं का उपयोग प्राप्त करते हुए सरकारी कर्मचारी के बराबर ही होता है ? इस लिए जब कोई सरकारी कर्मचारी पद पर रहते सरकारी खर्चे पर अपने निजी या पारिवारिक कार्य संपन्न करने के लिए अधिकृत नहीं है तो फिर केंद्रीय मंत्री और प्रधान मंत्री सरकारी सुविधाओं का उपयोग अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार और चुनावी सभाओं के लिए किस नियम और कायदे से करते है ! क्या यह देश की गरीब और निराश्रित जनता का अपमान नहीं है जिस पैसे से उनका उद्धार हो सकता है वह पैसा निजी स्वार्थ में खर्च होता है ? क्योंकि देखने में आ रहा है की प्रधान मंत्री जी बिहार चुनाव के अंतर्गत एक दिन में चार चार चुनावी सभाएं कर रहे है ? जो सरकारी पद और धन दोनों का ही दुरपयोग हो रहा है ? निश्चित ही इस पर रोक लगनी चाहिए ?
एस पी सिंह, मेरठ !