ये क्या हो रहा है ?

sohanpal singh
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हमारे धार्मिक ग्रन्थ गीता में वर्णित महाभारत में एक पात्र महाराज धृष्ठराष्ट्र चूँकी दृष्टिहीन थे इस लिए दरबार में जब भी कुछ शोर शराब होता था तो वे कहते थे “भई यह क्या हो रहा है?”तब उनका सारथि संजय उन्हें सब घटना बताया करता था यहाँ तक की महाभारत युद्ध का आँखों देखा विवरण भी सुनाया था ? लेकिन वह अपनी दृष्टिहीनता के कारण न तो द्रोपती के चीरहरण को रोक सके और न ही युद्ध को रोक पाये ? हम बात कर रहे है आधुनिक लोकतंत्र के महाभारत की खासकर बिहार चुनाव के परिप्रेक्ष्य में !

सत्तारूढ़ पार्टी ने बिहार चुनाव में भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में बहुत बार मान्य मर्यादाओं की सीमा को लाँघ दिया और उसमे सबसे बड़ी भागीदारी प्रधान मंत्री और पार्टी अध्यक्ष की रही और विपक्षी पार्टियों ने भी मान्य मर्यादाओं की सीमा लांधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी ! लेकिन हमारे लोकतंत्र के सबसे बड़े संरक्षक महामहिम राष्ट्रपति जी ने बिहार चुनाव और देस में फ़ैल रही असहिष्णुता के विषय में लगभग चार बार सरकार और विपक्ष को चेतवानी भी दी ! चूँकि इस लोकतंत्र में राष्ट्रपति जी को सर्वोच्च संवैधानिक पद प्राप्त होने के बाद भी कोई अधिकार नहीं है इसलिए सभी ने अनसुना कर दिया? परंतु बिहार की जनता जिसको ये नेता लोग केवल कामगार समझते हैं उसने चुनाव में करिश्मा ही कर दिया 18 माह पहले बीजेपी को सर माथे पर बैठने वाले बिहारियों ने विधान सभा में बीजेपी को ठेंगा दिखा दिया बावजूद इसके कि केंद्र सरकार का पूरा मंत्रिमंडल बिहार में चुनाव प्रबंधन में जुटा हुआ था और प्रधान मंत्री खुद चुनाव की कमान संभाले हुए थे ! लेकिन जनता ने जेडीयू , आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन को सत्ता सौंप दी !

हार के बाद अब शुरू हुआ आरोप प्रत्यारोपों का सिलसिला बिहारी बाबू के नाम से प्रख्यात अभिनेता और सांसद का दर्द जब झलका तो उन्हें पार्टी के एक महासचिव ने कुत्ता करार दे दिया ?

बिहार विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद बीजेपी में आज अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई, जब बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं – लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के खिलाफ असंतोष का बिगुल बजाते हुए कहा कि पिछले एक साल में पार्टी शक्तिहीन हुई है और उसे कुछ मुट्ठी भर लोगों के अनुसार चलने पर मजबूर किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हार के लिए सबको जिम्मेदार बताना खुद को बचाना है। इन नेताओं ने कहा कि हार की वजहों की पूरी समीक्षा हो और इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। यह दिखाता है कि जो लोग जीतने पर अपनी वाहवाही कर रहे होते, वो करारी हार मिलने पर अपना पल्‍ला झाड़ रहे हैं। बीजेपी के इन वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक बिहार में हार की मुख्य वजह पिछले एक साल में पार्टी का प्रभाव घटना है। उन्होंने कहा कि हार के कारणों की विस्‍तार से चर्चा की जानी चाहिए।

बयान में कहा गया कि इस बात की भी समीक्षा की जानी चाहिए कि कैसे पार्टी कुछ लोगों के सामने नतमस्‍तक हो गई है और कैसे इसका आम सहमति का आचरण नष्‍ट हो गया है। यह समीक्षा उन लोगों के द्वारा कतई नहीं की जानी चाहिए जिन्होंने बिहार में चुनाव प्रचार का प्रबंधन किया और जो उसके लिए जिम्‍मेदार हैं।

बिहार के चुनाव परिणाम को कई लोग नरेंद्र मोदी सरकार के 18 महीने के कामकाज पर जनता की प्रतिक्रिया मान रहे हैं। लेकिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हार के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। राजनाथ ने साथ ही यह भी कहा कि हम जनता का मूड नहीं समझ पाए, सामाजिक गणित हमारे खिलाफ था, जिसके कारण हार हुई।

इस बीच, बीजेपा ने पार्टी सांसद भोला सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की आलोचनाओं को खारिज करते हुए नेताओं को संयम बरतने की सलाह दी। बिहार में हार के बाद पार्टी में उठापटक शुरू हो गई है। भोला सिंह के अलावा बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और आरके सिंह तथा हुकुमदेव नारायण यादव भी पार्टी की रणनीति की आलोचना कर चुके हैं। हालांकि भोला सिंह पहले नेता हैं, जिन्होंने सीधे मोदी और शाह पर निशाना साधा है !
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