अभी कुछ दिन पहले यानि की लगभग डेढ़ वर्ष पहले कुछ राजनितिक परिंदे अपने पंख फड़फड़ाते हुए जोर शोर से नारे लगा रहे थे भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करना है ! भारत से गरीबी मुक्त करना है ! भारत में सब का साथ सबका विकास करना है ! देश को महंगाई से मुक्त करना है । भारत को कांग्रेस से मुक्त करना है ! चुनाव आये चले गए केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार का शासन समाप्त हो गया ! अब लगता तो है नई सरकार पूर्ण रूप से सक्रीय है देश में ही नहीं विदेश में भी ? परंतु देश और जनता को मुक्ति नहीं मिली ! ै
हम तो समझते थे की “राम का नाम ही सत्य है “और ” सत्य ही बोलने से मुक्ति मिलती है ” लेकिन चुनावो मेंतो यारों ने हमें भी मोदी मोदी ” बोलने पर मजबूर कर दिया और हमने भी खूब मोदी मोदी किया इतना ही नहीं अब भी विदेश तक मोदी मोदी की गूंज है !? हाँ यह कुछ सही लगता है की मुक्ति मिलने की संभावना है क्योंकि महंगाई के कारण आलू, दाल, प्याज, मशालो की कीमत आसमान पर है और गरीब को तो इनको खरीदने से मुक्ति मिल गई है और शायद यही हाल रहा तो संसार से भी मुक्ति मिल जायेगी ?
अब हम तो यह समझ रहे हैं की जैसा कवि नीरज ने कहा है ” अब तो मजहब कोई नया चलाये जाय इंसान को इंसान बनाया जाय” की इन पंक्तियों से प्रभावित होकर मोदी जी ने शासन सँभालते ही कोई नया मजहब ही चला दिया है की “अब भारत में मजहब कोई नया चलाया जाय गरीब को और गरीब बनाया जाय” और फिर राम नाम सत्य है सत्य बोलो मुक्ति है के स्थान पर नया नारा होगा मोदी का नाम सत्य है मोदी बोलो मुक्ति है ! भले ही कांग्रेस मुक्त भारत बने न बने क्योंकि यह चुनावी जुमला भी हो सकता है परंतु मोदी युक्त भारत बन ही गया है और इतिहास में लिखा जा चूका है ! मोदी मस्त है गरीब। बेचारा पस्त है ?
sohanpal singh