इंदिरा गांधी का राजनैतिक योगदान
1965 के भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय इन्दिराजी सेन्य अधिकारियों की चेतावनीके बावजूद घायलों की देखभाल करने एवं सैनिकों के उत्साहवर्धन हेतु युद्ध क्षेत्र में पहुंच गई, पाकिस्तान के सैनिक भी उसी इलाके के आसपास में थे इन्दिराजी की जान को गम्भीर खतरा हो सकता था अत उन्हें वापस जम्मू या दिल्ली लोट जाने को कहा गया किन्तु उन्होंने अपनी जान की चिन्ता किये बिना वहीं रह कर अपना काम जारी रक्खा, यह था उनकी देश भक्ति का जज्बा |
भारत की प्रथम महिला प्रधान मंत्री
सन्1966में श्रीमती गांधी पहली बार प्रधानमंत्री बनीं |उनका पहला कार्यकाल 1966 से 1977 तक एवं दूसरा कार्यकाल 1980 से उनकी म्रत्यु 31 अक्तूबर 84 तक था |
इंदिरा गांधी की उपलब्धियां
अपने फौलादी व्यक्तित्व और सकारात्मक दृष्टिकोण की वजह विश्व में उन्हें सबसे ताकतवर महिलाओं की श्रेणी में गिना जाता है. भारतीय राजनीति में उनके निर्णयों को मिसाल के तौर पर देखा जाता है | अपने राजनैतिक कार्यकाल में उन्होंने कई उपलब्धियों को हासिल किया जिनमें निम्न प्रमुख हैं——
रजवाड़ों का प्रीवी-पर्स समाप्त करना |
बैंकों का राष्ट्रीयकरण |
गरीबी हटाओ का नारा दिया एवं देश से निर्धनता समाप्त करने के बीस सूत्रीय कार्यक्रमों को बनाया |
अगस्त,1972में बीमा कारोबार का राष्ट्रीयकरण किया ।
हरित क्रांति से देश खाद्यान्न के मामले में आत्म निर्भर बना,सफेद क्रांति के माध्यम से दूध का उत्पादन काफी मात्रा मै बड़ा |
पाकिस्तान का विभाजन और बगंलादेश का जन्म, इंदिराजी में गजब की कल्पनाशीलता, नेतृत्व क्षमता थी। इन्दिराजी के घोर राजनेतिक विरोधी जनसंघ के नेता अटलबिहारी वाजपेयीजी ने इन्दिराजी को शक्तिमयी माता दुर्गा के समकक्ष बताया |
शिमला समझोता—शिमला समझोतें के फलस्वरूप भारत एवं पाकिस्तान ने कश्मीर विवाद को अन्तर्राष्ट्रीय विवाद के स्थान मात्र दोनों देशों के बीच का मसला मान करइसे आपसी बातचीत से शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए राजी हुए।
सिक्कम का भारत का प्रदेश बना—इन्दिराजी के प्रयासों से ही सिक्कम का भारत में विलय हुआ |
भारत परमाणु शक्तिवान देश बना—-स्माइलिंग बुद्धाके अनौपचारिक छदम्म -छाया नाम से1974में भारत ने सफलतापूर्वक एक भूमिगत परमाणु परीक्षणराजस्थानके रेगिस्तान में बसे गाँवपोखरणके करीब किया। शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किये गये इस परीक्षण से भारत भी दुनिया का नवीनतम परमाणुबम्ब सम्पन्न शक्तिशाली देश बन गया।
अन्तरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत का प्रवेश—–1980 में उनके ही कार्यकाल में भारत ने पहली बार अन्तरिक्ष युग में प्रवेश किया एवं भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा स्वदेशी तकनीक से निर्मित स्वदेशी राकेट से सेटेलाईट अन्तरिक्ष में सफलता पूर्वक भेज कर भारत को विश्व के अग्रणी देशों में शामिल करवाया |
विदेश नीति—-इन्दिराजी की विदेश नीति का आधार भारत को श्रेष्ट देश बनाने पर केन्द्रित था ,यानी प्रो इंडिया था, गुटनिरपेक्षता की नीति का अनुसरण करते हुए वे गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों की नेता बनी रही, वे कभी भी अमेरिका के दबाव में नहीं आई |
आपातकालीन स्थिति— 1974 में इन्दिरा जी की नितीयों के विरुद्धजयप्रकाश नारायण की अगुवाही में नामी-गिरामी नेताओं ने इन्दिराजी एवं उनकी सरकार के विरुद्ध सक्रिय प्रचार करते हुए भारत भर का दौरा किया और जन आन्दोलन चलाया जिससे कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा । 26 जून 75 को आपातकाल की घोषणा की गई, एवं कानून व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने हेतू ज्यादातर विरोधी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया | देश विदेश में जिस आपातकाल की आलोचना होती है, उस दौर के अनुशासन पर्व की उपलब्धियों को कोई भी नकार नहीं सकता। देश ने जिस लक्ष्य और कार्यक्रम का निर्धारण का अमल उस दौर में देखा है, उसके सुखद परिणाम आज भी प्रासंगिक हैं।
इन्दिराजी ने यकायक1977में चुनाव कराने की घोषणा कर दी जिसके फलस्वरूप उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा और जनता दल की सरकार बनी | तत्कालीन ग्रह मंत्री चरणसिंह ने इन्दिराजी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया, कुछ ही दिनों में अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया, उनकी गिरफ्तारी और लंबे समय तक चल रहे मुकदमे की वजह उनके विरुद्ध उपजा आक्रोश सहानुभूति मे बदलने लगा, लोगों का जनता सरकार से भी मोहभंग होने लगा श्रीमती गांधी एक कुशल राजनेता थी इसलिये आपातकाल के दौरान हुई “गलतियों” के लिए कौशलपूर्ण ढंग से क्षमा मांगना प्रारम्भ कर दिया |
1980 मे आम चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और इन्दिराजी वापस प्रधानमंत्री बनी |
ऑपरेशन को ब्ल्यू स्टार
सितम्बर1981मेंजरनैल सिंह भिंडरावालेने अपना अड्डा स्वर्ण मन्दिर परिसर,हरिमन्दिर साहिबके भीतर बना लिया था और वहीं से आतंकवादी हरकतों का संचालन हुआ करता था ऐसी अवस्था में मजबूर होकर दुखी मन से आतंकवादीयों से निबटने हेतु स्वर्ण मंदिर परिसर मेंसेना कोन्यूनतम फ़ोर्स काम में लेने के आदेश के साथप्रवेश करने का आदेश दिया, सिख समुदाय में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई एवं विशेष कर इन्दिरा गांधी के खिलाफ आक्रोश पनपा |
इंदिराजी की निर्मम हत्या—–इन्दिराजी के सुरक्षा कर्मियोंमें से ही दो अंगरक्षकोंसतवंत सिंहऔरबेअन्त सिंह,ने 31अक्टूबर,1984को अपने सेवा हथियारों से ही1,सफदरजंग रोड,नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में ही इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों ने गोलियों से भून भून कर निर्मम हत्या कर दी | श्रीमती गांधी को उनके सरकारी कार में ही अस्पताल पहुंचाते समय रास्ते में ही दम तोड़ दिया || इन्दिराजी के निधन का भयावह समाचार सुन एम्स के बाहर भी हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई पुलिस वालों के लिए उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा था। हर तरफ इंदिरा गांधी की जय एवं इन्दिराजी अमर रहें के नारे गूंज रहे थे। उनके मौत के बाद,नई दिल्लीके साथ साथ भारत के अनेकों अन्य शहरों में भी सांप्रदायिक अशांती हो गई, बेकाबू भीड़ ने निरपराध लोगों को विशेष कर सिक्खों को मार डाला , यह अत्यन्तं अमानवीय कृत्य था और अवश्य ही इन्दिराजी की आत्मा इसे देख बिलख बिलख कर रोई होगी | इन्दिराजी ने अपनी म्रत्यु से कुछ समय पूर्व ही कहा था कि“If I die a violent death, as some fear and a few are plotting, I know that the violence will be in the thought and the action of the assassins, not in my dying“.
इन्दिराजी का अंतिम संस्कार3नवंबरकोराज घाटके समीप शक्ति स्थल पर कर दिया गया।
डा.जे.के.गर्ग
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