ये भी भ्रष्ट है ।
सिर्फ आप-हम ,
आज त्रस्त है ।
वो भले अधिक ,
ये जरा (थोड़े) सही ।
दूध के धुले ,
कोई भी नहीं ।
घी में अंगुलियाँ ,
दोनों मस्त है ।
सिर्फ आप-हम ,
आज त्रस्त है ।
ठाठ में है वो ,
ठाठ में है ये ।
एक जैसे है ,
किसको क्या कहे ?
दन्द-फन्द में ,
दोनों व्यस्त है ।
सिर्फ आप- हम ,
आज त्रस्त है ।
दोनों हाथों से ,
वो बटोरते ।
गर मिले इन्हें ,
ये ना छोड़ते ।
जेब भरने में ,
ये समस्त है ।
सिर्फ आप-हम ,
आज त्रस्त है ।
डाल-डाल वो ,
पात-पात ये ।
और भी कई ,
किसका नाम लें ।
वो भी फर्स्ट है ,
ये भी फर्स्ट है ।
सिर्फ आप-हम ,
आज त्रस्त है ।
-नटवर विद्यार्थी, डीडवाना