सकारात्मक सोच को बड़ाने के उपाय

सकारात्मकता का महत्व एवं उपयोगिता

डा. जे. के. गर्ग
डा. जे. के. गर्ग
अपना ध्यान सकारात्मकता पर केंद्रित कर लेने से मन में न केवल अच्छे विचार आते हैं बल्कि व्यक्ति स्वयं के प्रति दृढ़ प्रतिज्ञ एवं आत्मविश्वासी भी बन जाता है । एक बार मन में सकारात्मकता के विचार आना प्रारम्भ होते ही व्यक्ति अपने आपमें आये परिवर्तन को देखने लगते हैं यह परिवर्तन आपके साथ साथ आपके साथियों को भी नजर आने लगता है। ध्यान रक्खें कि कोई भी एम्प्लोयर अपनी कंपनी में ऐसा कर्मचारी नहीं रखना चाहते जिसकी विचारधारा नकारात्मक हो इसीलिये सफलता एवं प्रशंसा हासिल करने हेतु जरूरी है ‘थिंक पॉजीटिव…एक्ट पॉजीटिव’।याद रक्खें कि” Positive thinking is the back bone of any successful product”
सकारत्मक सोच रखने एवं उसमें अभिव्रद्धी के लिए उपयोगी सुझाव:—
अपने आपको करें परिवर्तित——जब कभी कोई आपको हतोत्साहित करें, या कोई आपके सामने किसी दुसरे की निंदा, आलोचना की बातें करे तब तब आपको बहरा बनना होगा | जब किसी द्रश्य या घटना को देख कर आप विचलित हो जायें या आपका मन भटक जाये तब तब आपको अंधा बन जाना होगा | जब कभी किसी के शब्द किसी दूसरे के जीवन में आग मै घी डालने का काम करे तब तब आप को गूंगा बन जाना चाहिये |
अपने सभी इष्ट मित्रों, सहयोगीयों स्वजनों का सम्मान करें, उनकी उनके पीठ पीछे भी तारीफ करें | इससे उनको तो खुशी मिलेगी ही साथ में आपको भरोसेबंद दोस्त |
दूसरों की बात को सुनना सीखें, तुरंत प्रतिक्रया नहीं दें, अपने शब्दों को नाप तोल कर बोलें |
सबके सुख में अपना सुख माने | वक्त्त-बेव्यक्त लोगों के काम आयें | लोगों की मदद करें किन्तु उन पर अहसान नहीं |
उन लोगों के नजदीक रहें जो आपका होंसला बढाए,जो आपको विजय पथ की तरफ ले चले, जो आपको भी गलत काम करने से रोके |
सड़क पर चलते समय राहगीरों को, अनजान चेहरों को देख कर मुस्कराएँ और दोस्तों एवं अपनों से अपनी बाँहों में भर कर मिलें | खुद मुस्करायें और अन्य को भी मुस्कराहट दें |
सकारात्मक सोच बर्फ की डल्ली है जो दूसरे से अधिक खुद को ठंडक पहुंचाती है, अत:अपने दिमाग को ढढा रक्खें।
हमेशा बोलें प्यार भरी अमृत जैसी बोली |
गलतियों को कब्र में दफन कर दें, भूलो और भूल जाओ एवं माफ़ करो की निती अपनायें | अपनी गलतियों के लिये दूसरों से बिना झिझक माफी मागें या खेद प्रकट करें |
असफलताओं से कभी भी नहीं घबराये, याद रक्खें कि असफलता ही सफलता प्राप्त करने में नीवं का पत्थर बन जाती है और सफलता के नये दरवाजे खोलती है |
हर काम को उत्साह एवं डेडीकेशन के साथ करें |
जब मन में नकारात्मक विचार आयें तो उसके साथ तर्क करना सीखें और वह भी सकारात्मकता के साथ।
ज़िन्दगी में परेशानियों को ढूंढना छोड़ दें और जीवन में जो चीज़ें गज़ब है अदभुत है उन्हें देखना आरम्भ कर दें |आप अनोखे और खूबसूरत है, इस पर विश्वास कीजिये | आप जैसे हैं वैसे ही अपने आप को प्यार करना सीखिए |हमेशा जीवन में अच्छाई के बारे में सोचें | बुराई के बारे में सोच कर अपना दिन नष्ट न करें |
डर, दुख, तनाव, गुस्से, निराशा को कभी भी अपने जीवन का हिस्सा नहीं बनायें |
सुबह उठते ही अपने आप से वादा करें कि आज आप कल के मुकाबले और अधिक अच्छे कार्य करेगें |
कभी भी किसी से कोई अपेक्षा नहीं रक्खें | कभी भी किसी की भी उपेक्षा नहीं करें | महत्वकाक्षी बने किन्तु अतिमहत्त्वकाक्षी नही बने, अपनी जरूरतों और आवश्यकताओं की लक्ष्मण रेखा खीचें
सकरात्मक सोच प्राप्ती के लिये “अचूक मन्त्र– बुरा मत देखो, बुरा मत करो ,बुरा मत सुनो और बुरा मत सोचो किन्तु हमेशा अच्छा देखो, अच्छा करो, अच्छा सुनो और अच्छा बोलो को अपनायें |
याद रक्खें कि आलस्य, अशांति, असफलता, शत्रुता, कटुता, हार, चिंता, दुःख, द्वेष, लालच, जलन, बीमारी, लड़ाई, झगड़ा इत्यादि के बारे में सोचने से यही सभी निर्थक बातें आपके मानस पटल पर आती रहेंगीं किन्तु यदि आप हमेशा जीत, ख़ुशी, सामंजस्य, जाग्रति, शांति, सम्पन्नता, सफलता, मित्रता, शीतलता, विश्वास, प्रेम, सद्भाव, दया आदि के बारे में सोचेंगे तो आपको आपकी ज़िन्दगी में यही सब प्राप्त होगा, इसलिए जहाँ तक हो सके बड़ी सोच यानी सकारात्मक और सुलझी हुई सोच रखें | सोच के पंखों को खुले आसमान की परवाज़ दें, व्यवहार कुशल सोच रखें, आशावादी सोच रखें |
जिस दिन आप नकारात्मक चीजों में भी सकारात्मक पक्ष तलाशना सीख जाएंगे उस दिन कोई भी मुश्किल आपका मनोबल गिराने में सफल नहीं हो पाएगी।

डा.जे.के. गर्ग
सन्दर्भ—- मेरी डायरी के पन्नें, वेबदुनिया, विभिन्न संतो-महापुरूषों के प्रवर्चन
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