कहीं इसका कारण आपके घर का वास्तु तो नहीं है। घर का खराब वास्तु पति–पत्नी के सीधा संबंधो को प्रभावित करता है। यदि आपके जीवनसाथी या लाइफ पार्टनर से आपकी नहीं बनती तो इसका अर्थ यह हैं की आपके घर या मकान में वास्तुदोष हें।। वास्तुशास्त्री पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार वास्तु में न सिर्फ सुख-समृद्धि के अपितु सुखद दाम्पत्य के सूत्र भी छिपे हैं। किसी के भी दाम्पत्य जीवन में बेडरूम काफी खास होता है। यदि बेडरूम में नीचे लिखे वास्तु नियमों का पालन किया जाए तो दाम्पत्य जीवन कहीं अधिक सुखमय हो सकता है।। किसी भी घर की आंतरिक रूपरेखा एवं आंतरिक-सज्जा में फर्क होता है। आंतरिक रूप रेखा यूं तो कुछ सामान्य वास्तु नियमों पर आधारित होती है। किन्तु आन्तरिक सज्जा में यह देखना आवश्यक होता है कि घर में कौन-कौन एवं कितने लोग हैं? उस घर के निवासियों की रूचियां एवं जरूरतें क्या-क्या हैं? तथा इसके लिए आपके पास बजट कितना है?
कोई भी वस्तु अपने गुण, प्रभाव एवं संरचना के आधार पर सात्विक, तामसिक तथा रजोगुणी होते हैं। इसके साथ ही सभी वस्तुओं पर भी ग्रहों का अलग-अलग प्रभाव रहता है। इसी आधार पर किस वस्तु को किस स्थान पर रखा जाए ताकि उस वस्तु की सकारात्मक ऊर्जा हमारे लिए कल्याणकारी हो, इसी से संबंधित वस्तुओं का विवेचन इस लेख के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है।। **** वास्तुविद पण्डित दयानंद शास्त्री सेे जानते हैं कुछ ऐसे ही वास्तुदोष जिनके होने पर पति-पत्नी के सबंधों को बुरी प्रभावित करते हैं।
इसलिए घर का वातावरण ऐसा होना चाहिए कि ऋणात्मक शक्तियां कम तथा सकारात्मक शक्तियां अधिक क्रियाशील हों। यह सब वास्तु के द्वारा ही संभव हो सकता है।
**** पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार किसी भी घर या भवन के ईशान कोण का वास्तुशास्त्रानुसार बहुत ही महत्व है। यदि पति-पत्नी साथ बैठकर पूजा करें तो उनका आपस का अहंकार खत्म होकर संबंधों में मधुरता बढ़ेगी। उस घर की गृहलक्ष्मी द्वारा संध्या के समय तुलसी में दीपक जलाने से नकारात्मक शक्तियों को कम किया जा सकता है। घर के हर कमरे के ईशान कोण को साफ रखें, विशेषकर शयनकक्ष के। सामान्यतया पति-पत्नी में आपस में वैमनस्यता का एक कारण वास्तु नियमानुसार सही दिशा में उनका शयनकक्ष का न होना भी है।
**** यदि आपके घर के दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में स्थित कोने में बने कमरों में आपकी आवास व्यवस्था नहीं है तो प्रेम संबंध अच्छे के बजाए, कटुता भरे हो जाते हैं।शयनकक्ष के लिए दक्षिण दिशा निर्धारित करने का कारण यह है कि इस दिशा का स्वामी यम, शक्ति एवं विश्रामदायक है। घर में आराम से सोने के लिए दक्षिण एवं नैऋत्य कोण उपयुक्त है। शयनकक्ष में पति-पत्नी का सामान्य फोटो होने के बजाए हंसता हुआ हो, तो वास्तु के अनुसार उचित रहता है।
**** यदि आपके घर के अंदर उत्तर-पूर्व दिशाओं के कोने के कक्ष में अगर शौचालय है तो पति-पत्नी का जीवन बड़ा अशांत रहता है। आर्थिक संकट व संतान सुख में कमी आती है। इसलिए शौचालय हटा देना ही उचित है। अगर हटाना संभव न हो तो शीशे के एक बर्तन में समुद्री नमक रखें। यह अगर सील जाए तो बदल दें। अगर यह संभव न हो तो मिट्टी के एक बर्तन में सेंधा नमक डालकर रखें।
**** यदि आपके घर के अंदर रसोई सही दिशा में नहीं है तो ऐसी अवस्था में पति-पत्नी के विचार कभी नहीं मिलेंगे। रिश्तों में कड़वाहट दिनों-दिन बढ़ेगी। कारण अग्नि का कहीं ओर जलना। रसोई घर की सही दिशा है आग्नेय कोण। अगर आग्नेय दिशा में संभव नहीं है तो अन्य वैकल्पिक दिशाएं हैं। आग्नेय एवं दक्षिण के बीच, आग्नेय एवं पूर्व के बीच, वायव्य एवं उत्तर के बीच।यदि आप अपने वैवाहिक जीवन को सुखद एवं समृद्ध बनाना चाहते हैं और अपेक्षा करते हैं कि जीवन के सुंदर स्वप्न को साकार कर सकें तो रखें इन सामान्य वास्तु सिद्धांतों का ध्यान— यदि आप निम्न वास्तु नियमों का पालन करेंगें तो आप और आपका जीवन साथी/ लाइफ पार्टनर सुखी रह सकते हैं।। पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार आपके शयनकक्ष से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण वास्तु नियम या तथ्य निम्न हैं –
**** गृहस्वामी का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा अर्थात् नैऋत्य कोण में होना चाहिए। इस दिशा में अच्छी नींद आती है। इस दिशा में शयनकक्ष होने पर मनोबल, धन एवं यश की वृद्घि होती है।
**** शयनकक्ष में स्वर्गवासी पूर्वज, महाभारत-रामायण आदि से संबंधित चित्र तथा देवताओं की तस्वीरें भूलकर भी नहीं लगाई जानी चाहिए।
**** शयनकक्ष में बेड इस तरह रखना चाहिए कि सोने वाले सिर दक्षिण दिशा में पडे। यूं तो पूर्व एवं पश्चिम दिशा में भी सिर रखा जा सकता है, लेकिन सर्वाधिक फायदा दक्षिण दिशा या पूर्व-पश्चिम दिशा में सिर रखकर सोने से होता है।
**** शयनकक्ष में अगर आईना रखने की आवश्यकता हो तो उसे इस प्रकार लगाना चाहिए कि सोते समय शरीर का प्रतिबिंब उसमें दिखाई न दे। अगर ऐसा होता है तो पति-पत्नी के सामंजस्य में बाधा पहुंचती है।
**** शयनकक्ष में खिडकी के ठीक सामने ड्रेसिंग टेबल नहीं लगाना चाहिए। अगर कोई अलमारी शयनकक्ष में रखनी हो तो उसे नैत्रदत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा में ही रखना चाहिए। इससे लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
***** टेलीफोन के निकट किसी भी प्रकार का जलपात्र नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश घर में होता है तथा गृहस्वामी के ऊपर कोई न कोई चिन्ता बनी ही रहती है।
****पति की उम्र अगर पत्नी की उम्र से लगभग पांच साल बडी हो तो बिस्तर की चादर हरी, छह से दस साल बडी हो तो चादर पीली तथा बीस साल बडी हो तो चादर का रंग सफेद होना चाहिए। इससे पति-पत्नी के प्रेम के बीच कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है।
**** कमरे में कोई महत्त्वपूर्ण कागजात रखने हो तो उसे उत्तर-पूर्व कोण (ईशान कोण) में ही रखना चाहिए। इससे जरूरत के समय कागजात बहुत जल्दी मिल जाते हैं। बिस्तर के गद्दे के नीचे किसी भी प्रकार का कागज नहीं रखना चाहिए। इससे यौन रोग होनेे की सभावना बनी रहती है।
****शयनकक्ष में जूते-चप्पल का प्रवेश एकदम वर्जित किया जाना चाहिए। जूते-चप्पल के प्रवेश से शयनकक्ष की सार्थक ऊर्जा दूर हो जाती है तथा अनिद्रा एवं तनाव में वृद्घि होने लगती है। पंखे के ठीक नीचे कभी भी बिस्तर नहीं लगाना चाहिए। इससे हमेशा मन में बुरी भावनाओं का प्रवेश होता रहता है। ****यदि आप दाम्पत्य जीवन में खुशी चाहते हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बेडरूम शांत, ठंड़ा, हवादार व बिना दबाव वाला होना चाहिए। बेडरू्म में बेकार का सामान नहीं होना चाहिए।
****बेडरूम में निजता कायम रहे। इसके लिए ध्यान रखें कि बेडरूम की खिड़की दूसरे कमरे में न खुले। शयन कक्ष की आवाज बाहर नहीं आना चाहिए। इससे दाम्पत्य जीवन में मिठास बढ़ती है।
****शयन कक्ष में पेंट हल्का व अच्छा हो। दीवारों पर चित्र कम हों, चित्र मोहक होना चाहिए।
****बेडरूम में पलंग आवाज करने वाला न हो तथा सही दिशा में रखा हो। सोते समय सिर दक्षिण की ओर होना चाहिए। आरामदायक व भरपूर नींद से दाम्पत्य जीवन अधिक सुखद बनता है।
**** बाथरूम, बेडरूम से लगा हुआ होना चाहिए। बाथरूम का दरवाजा बेडरूम में खुलता हो तो उसे बंद रखना चाहिए। उस पर परदा भी डाल सकते हैं।
****बेडरूम में पेयजल की सुविधा होना चाहिए ताकि रात को उठकर बाहर न जाना पड़े।
**** बेडरूम में प्रकाश की उचित व्यवस्था होना चाहिए। सोते समय जीरो वॉट का बल्ब जलाना चाहिए और उसकी रोशनी सीधी पलंग पर नहीं पडऩी चाहिए।