मकर संक्रान्ति दान तथा पुण्यकर्म

डा. जे. के. गर्ग
डा. जे. के. गर्ग
मकर संक्रांति माघ माह में आती है, संस्कृत में मघ शब्द से माघ निकला है। मघ शब्द का अर्थ होता है-धन,सोना-चांदी,कपड़ा,आभूषण आदि,स्पष्ट है कि इन वस्तुओं के दान आदि के लिए ही माघ माह उपयुक्त है। इसीलिए इसे माघी संक्रांति भी कहा जाता है।
मकर संक्रांति के दिन भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों यथा प्रयाग,हरिद्वार,वाराणसी,कुरुक्षेत्र,गंगासागर आदि में पवित्र नदियों गंगा,यमुना आदि में करोडों लोग डुबकी लगा कर स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि वरुण देवता इन दिनों में यहां आते हैं , यह भी माना जाता है कि उत्तरायण में देवता मनुष्य द्वारा किए गए हवन,यज्ञ आदि को शीघ्रता से ग्रहण करते हैं। अथर्ववेद में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि दीर्घायु और स्वस्थ रहने के लिए सूर्योदय से पूर्व ही स्नान शुभ होता है। ऋग्वेद में ऐसा लिखा है कि-हे देवाधिदेव भास्कर,वात,पित्त और कफजैसे विकारों से पैदा होने वाले रोगों को समाप्त करो और व्याधि प्रतिरोधक रश्मियों से इन त्रिदोशों का नाश करो।
उत्तर प्रदेश एवं बंगाल में इस दिन तिल दान का विशेष महत्त्व है। महाराष्ट्र में नवविवाहिता स्त्रियाँ प्रथम संक्रान्ति पर तेल,कपास,नमक आदि वस्तुएँ सौभाग्यवती स्त्रियों को भेंट करती हैं। राजस्थान में सौभाग्यवती स्त्रियाँ इस दिन तिल के लड्डू,घेवर तथा मोतीचूर के लड्डू आदि पर रुपय रखकर, “वायन”के रूप में अपनी सास को प्रणाम करके देती है तथा किसी भी वस्तु का चौदह की संख्या में संकल्प करके चौदह ब्राह्मणों को दान करती है।
मकर संक्रांतिपर किये जाने वाले धार्मिक कार्य एवं आयोजन——
इस दिन से ही लोग मलमास के कारण रुके हुए अपने शुभ कार्य-गृहनिर्माण,गृहप्रवेश,विवाह आदि भी शुरू कर देते हैं। मलमास,बृहस्पति की राशियों – धनु और मीन में सूर्य भगवान के प्रवेश करने पर शुरू होता है। मान्यता है कि तब सूर्य भगवान देवगुरु बृहस्पति के साथ आध्यात्मिक ज्ञान की चर्चा में मग्न रहते हैं।इसीलिए भोग-विलास आदि सांसारिक कार्यों से दूर होते हैं।
मकर संक्रांति पर भारत के विभिन्न राज्यों में अपना-अपना खान-पान है—
धार्मिक मान्यताएं———
मकर संक्रांति में सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण में आने का स्वागत किया जाता है। शिशिर ऋतु की विदाई और बसंत का अभिवादन तथा अगहनी फ़सल के कट कर घर में आने का उत्सव मनाया जाता है। यह महत्त्वपूर्ण पर्व माघ मास में मनाया जाता है। भारत में माघ महीने में सबसे अधिक ठंढ़ पड़ती है,अत: शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए तिल,चावल,उड़द की दाल एवं गुड़ का सेवन किया जाता है। इन खाद्यों के सेवन का धार्मिक आधार भी है। शास्त्रों में लिखा है कि माघ मास में जो व्यक्ति प्रतिदिन विष्णु भगवान की पूजा तिल से करता है और तिल का सेवन करता है,उसके कई जन्मों के पाप कट जाते हैं। अगर व्यक्ति तिल का सेवन नहीं कर पाता है तो सिर्फ तिल-तिल जप करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। तिल का महत्व मकर संक्रांति में इस कारण भी है कि सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं,जो सूर्य के पुत्र होने के बावजूद सूर्य से शत्रु भाव रखते हैं। अत: शनि देव के घर में सूर्य की उपस्थिति के दौरान शनि उन्हें कष्ट न दें,इसलिए तिल का दान व सेवन मकर संक्राति में किया जाता है। चावल,गुड़ एवं उड़द खाने का धार्मिक आधार यह भी है कि इस समय ये फ़सलें तैयार होकर घर में आती हैं, इन फ़सलों को सूर्य देवता को अर्पित करके उन्हें धन्यवाद दिया जाता है कि“हे देव! आपकी कृपा से यह फ़सल प्राप्त हुई है। अत: पहले आप इसे ग्रहण करें तत्पश्चात प्रसाद स्वरूप में हमें प्रदान करें,जो हमारे शरीर को उष्मा,बल और पुष्टता प्रदान करे।”
बिहार तथा उत्तर प्रदेश
बिहार एवं उत्तर प्रदेश में इस दिन अगहनी धान से प्राप्त चावल और उड़द की दाल से खिंचड़ी बनाई जाती है एवं कुल देवता को इसका भोग लगाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर खिंचड़ी के साथ चूड़ा-दही,गुड़ एवं तिल के लड्डू के हैं विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का आदान-प्रदान करते हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग मकर संक्राति को“खिचड़ी पर्व”के नाम से भी पुकारते हैं।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिल खाने की परम्परा है। यहाँ के लोग इस दिन गुजिया भी बनाते हैं।
राजस्थान
तिल,चावल,उड़द की दाल एवं गुड़ का सेवन करते हैं,तिल के विभिन्न व्यंजन यथा तिल के लड्डू, तिल कुट्टा. तिल की गजक आदि बनाते हैं |
पंजाब एवं हरियाणा
पंजाब एवं हरियाणा में इस पर्व में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में मक्के की रोटी एवं सरसों के साग को विशेष तौर पर शामिल किया जाता है। इस दिन पंजाब एवं हरियाणा के लोगों में तिलकूट,रेवड़ी और गजक खाने की भी परम्परा है। मक्के का लावा,मूँगफली एवं मिठाईयाँ भी लोग खाते हैं
दक्षिण भारत
दक्षिण भारतीय प्रांतों में मकर संक्राति के दिन गुड़,चावल एवं दाल से पोंगल बनाया जाता है। विभिन्न प्रकार की कच्ची सब्जियों को लेकर मिश्रित सब्जी बनाई जाती है। इन्हें सूर्य देव को अर्पित करने के पश्चात सभी लोग प्रसाद रूप में इसे ग्रहण करते हैं। इस दिन गन्ना खाने की भी परम्परा है।
संकलंनकर्ता—-जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—विकिपीडिया,भारत ज्ञान कोष,गूगल सर्च आदि
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