आधुनिक शिक्षा प्रणाली एवं जीवन विज्ञान पर संगोष्ठी का आयोजन
सूर्यनगर-गाजियाबाद, 29 जनवरी 2016।
जीवन विज्ञान एवं प्रेक्षाध्यान प्राध्यापक मुनिश्री किशनलालजी ने कहा कि जीवन विज्ञान श्रेष्ठ मानव एवं समाज निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी उपक्रम है। श्रेष्ठ मानव और मानवता का सृजन आज विश्व के सामने एक गंभीर चुनौती है। मूल्य आधारित शिक्षा पद्धति के विकास से राष्ट्र का विकास संभव है।
मुनिश्री किशनलालजी आज सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल में ‘‘जीवन विज्ञान- जीवन जीने की कला’’ विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश को नैतिक शिक्षा की जरूरत है। हम जीवन विज्ञान के माध्यम से शिक्षा प्रणाली को नया रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। ‘जीवन विज्ञान’ की शिक्षा समाज की बुनियादी समस्याओं को सुलझाने में बहुत ही सहायक हो सकती है।। इसके द्वारा छात्रों का व्यक्तित्व विकास भी हो सकता है। उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि विद्या भारती स्कूल में जीवन विज्ञान को लागू किया जाना चाहिए।
सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी के महासचिव श्री ललित गर्ग ने मुनि किशनलालजी का स्वागत करते हुए कहा कि मुनिवर के प्रयास से देशभर में जीवन विज्ञान स्कूली शिक्षा के लिये वरदान बनकर प्रस्तुत हो रही है। जीवन विज्ञान की पृष्ठभूमि में व्यक्ति और समाज दोनों को संतुलित मूल्य दिया गया है। मनुष्य जैसा है, वैसा ही रहना नहीं चाहता। वह विकास चाहता है। विकास का महत्वपूर्ण साधन है शिक्षा। आज शिक्षा से अच्छे वकील, डाॅक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक प्रतिभाएं प्रस्फुटित हो रही हैं लेकिन नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों से अनुप्राणित व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पा रहा है। आज की शिक्षा में इन मूल्यों के विकास की ओर बहुत कम ध्यान दिया गया है। उसमें बौद्धिक एवं शारीरिक विकास की संभावनाएं हैं पर मानसिक एवं भावात्मक विकास की संभावनाएं बहुत नहीं है। जीवन विज्ञान इस संभावना को साकार करने वाला उपक्रम है। यह नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों के विकास की पद्धति है। मानसिक एवं भावात्मक विकास का प्रायोगिक उपक्रम है।
संगोष्ठी में विद्या भारती स्कूल की प्रिसिंपल श्रीमती मिनाक्षी जैराबी ने कहा कि जीवन विज्ञान नवीन शिक्षा-योग शिक्षा के संदर्भ में मूल्यपरक शिक्षा का एक अभिनव प्रयोग है। इसके अंतर्गत मूल्य शिक्षा, नैतिक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा और योग शिक्षा का समावेश है। इसे शिक्षा के क्षेत्र में एक अभिनव प्रयोग कहा जा सकता है, विद्या भारती स्कूल में इसके व्यवस्थित पाठ्यक्रम को अगले सत्र से लागू करने का प्रयास किया जायेगा।
इस अवसर पर तेरापंथ समाज सके प्रमुख श्री भीकमचन्द सुराणा, स्कूल के जनरल मैनेजर श्री नरेन्द्र सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। मुनि किशनलालजी ने छात्रों को जीवन विज्ञान के अनेक प्रयोग करवाएं।
प्रेषक –
( ललित गर्ग )
महासचिव-सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी- विद्या भारती स्कूल
सी ब्लाक, सूर्यनगर- गाजियाबाद मो. 09811051133