कहा जाता है कि पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए है पर उसी पुलिस ने भक्षक बन विवाहिता की आबरु पर हाथ डाल दिया। नागौर के मौलासर थाने में अवैध हिरासत में रखे भाई-बहन से पुलिस ने ऐसा व्यहार कर मानवता को भी शर्मसार करके रख दिया है। पुलिस ने हत्या, अपहरण एवं चोरी की आशंका में मौसेरे भाई-बहन एवं उनके रिश्तेदार को 22 दिन तक थाने में अवैध तरीके से हिरासत में बंद रखा। इस दौरान न सिर्फ पुलिसकर्मियों ने उनसे मारपीट कर प्रताडित किया, बल्कि विवाहिता से थाने में ही बुरा व्यवहार किया।
भाई-बहन जब अवैध पुलिस हिरासत में थे, तब तत्कालीन नागौर एसपी, एएसपी और सीओ आदि थाने आ गए थे। इस बीच जिसकी हत्या एवं अपहरण की आशंका थी, वो व्यक्ति सकुशल घर आ गया। उसने मर्जी से सालासर मंदिर जाना बताया, तब जाकर पुलिस ने मौसेरे भाई-बहन एवं उनके रिश्तेदार युवक को छोड़ा। राज्य मानवाधिकार आयोग की ओर से 7 सितंबर 2012 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मुख्य सचिव और गृह विभाग को प्रताडऩा के इस गंभीर प्रकरण की अति गोपनीय जांच रिपोर्ट भेजी है। भास्कर के हाथ लगे इन गोपनीय दस्तावेजों में राज्य पुलिस की शर्मनाक एवं हिलाकर रख देने वाली यह कारस्तानी सामने आई है।
जांच में दोषी मानते हुए मानवाधिकार आयोग ने पीडि़ता से थाने में ज्यादती करने वाले पुलिसकर्मियों और पूर्व में ससुराल में ज्यादती करने वाले दो रिश्तेदारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की है।साथ ही अवैध हिरासत एवं मारपीट को लेकर मौलासर थाना प्रभारी नवनीत व्यास, पुलिस उपाधीक्षक हेमाराम चौधरी एवं मारपीट में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की है।
सके अलावा आयोग की जांच रिपोर्ट में अवैध हिरासत को लेकर समान रूप से दोषी मानते हुए नागौर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और एएसपी अशोक कुलश्रेष्ठ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए कहा है। पीडि़ता को 5 लाख रुपए और मारपीट के शिकार दोनों युवकों को 2- 2 लाख रुपए का मुआवजा देने की अनुशंसा की है।