शुरुआत क्लब के कोषाध्यक्ष सत्यनारायण जाला ने स्कूल के जमाने में एसेंबली में होने वाली प्रार्थना-तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो से की। वे पहली बार गुनगुनाए। आज पहली बार महफिल में आए रामगोपाल सोनी ने लता मंगेशकर का कालजयी गीत-चलते चलते यूं ही कोई मिल गया था गुनगुनाया। चंद्रशेखर शर्मा ने मंगल भवन अमंगल हारी सुनाया। दिनेश गर्ग गुनगुनाए लेकिन पहली बार में उनकी झिझक नहीं खुली। साहित्यकार उमेश चौरसिया पहली बार महफिल में आए। उन्होंने अपनी एक गजल-कल रात आंखों में नींद नहीं थी, सवेरा होने की कोई उम्मीद नहीं थी सुनाकर खूब दाद बटोरी। क्लब के अध्यक्ष एसपी मित्तल ने अपने जीवन के अनुभवों से कुछ किस्से सुनाए।
विजय हंसराजानी ने किशोर कुमार का बेहतरीन नगमा-अकेला गया था मैं, आनंद शर्मा ने अपनी कविताएं-आज हम फिर परदेश में, क्षण क्षण अंग भंगुर करती सुनाई। देवदास दीवाना ने आज भी कई अच्छे गीत सुनाए। उन्होंने-सुभान अल्लाह सुभान अल्लाह, मोहम्मद रफी का सदाबहार गीत-बदन पे सितारे लपेटे हुए, मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया आदि गीत सुनाए।
डॉ. रमेश अग्रवाल आज खास तैयारी के साथ आए थे। उन्होंने मोहम्मद रफी का बेहतरीन नगमा-हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं सुनाकर खूब दाद लूटी। वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा भी पूरी तैयारी के साथ आए। उन्होंने मोहम्मद रफी के सदाबहार नगमे-दिल की आवाज भी सुन मेरे फसाने पे न जा से शुरुआत की। इसके बाद-लिखे जो खत तुझे जो तेरी याद में, परदेसियों से ना अंखियां मिलाना, किशोर कुमार का गीत-ख्वाब हो तुम या कोई हकीकत आदि नगमे सुनाए।
राजकुमार पारीक भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने मारवाड़ी गीत-म्हारा जूना जाेशी रामजी मिलण कद होसी, जहां डाल डाल पे सोने की चिड़िया करती है बसेरा, किशोर कुमार का बेहतरीन नगमा-ये क्या हुआ, कैसे हुआ, चला चला रे डिलेवर गाड़ी हौले हौले सुनाकर खूब तालियां बटोरी। प्रदीप गुप्ता ने संगीत की मधुर धुनों के साथ किशोर कुमार के सदाबहार गीत-मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू, पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले, रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन सुनाए।
योगेंद्र सेन आज अलग मूड में थे। उन्होंने मुकेश का बेहतरीन नगमा-ये मेरा दीवानापन है, कवि प्रदीप का देशभक्ति से ओतप्रोत गीत-आओ बच्चों तुम्हे दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की, मुखड़ा देख ले प्राणी जरा दर्पण में, तू गंगा की मौज मैं जमना का धारा सुनाए।
प्रतापसिंह सनकत ने भी आज कई बेहतरीन नगमे सुनाए। उन्होंने किशोर कुमार का खूबसूरत नगमा-ये लाल रंग, कब मुझे छोड़ेगा, जीवन से भरी तेरी आंखें, मोहम्मद रफी का कालजयी नगमा-रंग और नूर की बारात किसे पेश करूं, मुकेश के सदाबहार गीत-कोई जब तुम्हारा हदय तोड़ दे, मैं तो इक ख्वाब हूं इस ख्वाब से तू प्यार ना कर सुनाए।
प्रताप सिंह सनकत