नहीं बने बदरंग कभी

नटवर विद्यार्थी
नटवर विद्यार्थी
होली पर हम रंगे सभी ।
नहीं बनें बदरंग कभी ।।

एक नई पहचान रहे ,
सदा पर्व का मान रहे ।
बहुरंगी भी बनें यदि ,
नहीं बनें बदरंग कभी ।

रंगों का भी अनुपम खेल,
इनमें भी होता है मेल ।
सही मेल हो, मिलन तभी,
नहीं बनें बदरंग कभी ।

रंग- बिरंगे हम सारे ,
माँ की आँखों के तारे ।
सदा एक थे, एक अभी,
नहीं बनें बदरंग कभी ।

-नटवर विद्यार्थी
सारिका कुञ्ज
डीडवाना-341303

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