अन्तर राशि का भुगतान मय ब्याज सहित करने के आदेश

छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करते हुये अन्तर राशि का भुगतान मय ब्याज सहित करने के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर का मामला)

jaipur samacharजयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, विद्या भवन सोयायटी, उदयपुर (राज.) को आदेश दिया कि वे प्रार्थीगण प्रकाश लता जोशी, नफीसा बानू एवं सरोज शर्मा का राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 2008 के अन्तर्गत वेतन का स्थिरीकरण करते हुये अन्तर की राशि का भुगतान बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थीया प्रकाश लता जोशी की नियुक्ति अप्रार्थी संस्था में प्रशिक्षण/अनुदेशक के पद पर दिनांक 16.10.1986 को एवं प्रार्थीया नफीसा बानू की नियुक्ति अप्रार्थी संस्था में अध्यापक ग्रेड तृतीय के पद पर दिनांक 11.07.1978 को तथा प्रार्थीया सरोज शर्मा की नियुक्ति अप्रार्थी संस्था में सहायक अध्यापक के पद पर दिनांक 13.10.1986 को चयन समिति द्वारा विधि सम्मत् सम्पूर्ण प्रक्रिया अपनायी जाकर की गई थी। तत्पश्चात् प्रार्थीगण द्वारा अपनी पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से अप्रार्थी संस्था में कार्य किया गया परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थीगणों का वेतन स्थिरीकरण छठे वेतन आयोग के अनुसार नहीं किया गया। प्रार्थीगण द्वारा उक्त लाभ देने हेतु संस्था से बार-2 निवेदन किया गया परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थीगण के निवेदन को अनसुना कर दिया। इसके बाद प्रार्थीगण ने संस्था से तंग एवं परेशान होकर जरिये अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से माननीय अधिकरण के समक्ष प्रार्थना पत्रा प्रस्तुत कर उक्त लाभ अप्रार्थी संस्था से दिलवाये जाने हेतु निवेदन किया। अप्रार्थी संस्था द्वारा अधिकरण के समक्ष यह तर्क दिया गया कि राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त नहीं होने के कारण प्रार्थीगण को छठे वेतन आयोग का लाभ दिया जाना न्यायोचित नहीं है। इसके जवाब में प्रार्थीगण के अधिवक्ता डी.पी.शर्मा का तर्क था कि प्रार्थीगणों की नियुक्ति अनुदानित पद के विरूद्ध हुई है तथा अप्रार्थी संस्था राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होते हुए 90 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त करती है जिस कारण अप्रार्थी संस्था पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 और नियम, 1993 के प्रावधान लागू होते है और उक्त नियमों एवं प्रावधानों के अनुसार प्रार्थीगण उपरोक्त समस्त लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त सभी लाभ बकाया होने की दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।

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