मूल: आतिया दाऊद
पाहिंजी धीऊ जे नाले
जे तोखे ‘कारी’ करे मारीन
मरी वञजां, ज़रूर नेंहु लाइजाँ!
शराफ़त जे शोकेस में
नक़ाब कढी न वेहिजाँ ,
ज़रूर नेंहु लाइजाँ !
उञ्जायल ख्वाहिशुन जे रण पट में
थूहर जियाँ न रहिजां
ज़रूर नेंहु लाइजाँ !
जे कहिंजी याद होरियां होरियां
मन में तुहिंजे हरी पए
मुरकी पइजां
ज़रूर नेंहु लाइजाँ!
हू छा कंदा?
तोखे रुगो संगसार कंदा
जीवन पल तूँ माणिजां
ज़रूर नेंहु लाइजाँ!
नेंह तुहिंजे खे गुनाहु बि चइबो
पोइ छा? …सही वञजां
ज़रूर नेंहु लाइजाँ!
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‘कारी’ (कलंक)
सिन्धी अनुवाद : देवी नागरानी
अपनी बेटी के नाम
अगर तुम्हें ‘कारी’ कहकर मार दें
मर जाना, प्यार ज़रूर करना!
शराफ़त के शोकेस में
नक़ाब ओढ़कर मत बैठना,
प्यार ज़रूर करना!
प्यासी ख्वाहिशों के रेगिस्तान में
बबूल बनकर मत रहना
प्यार ज़रूर करना!
अगर किसी की याद हौले-हौले
मन में तुम्हारे आती है
मुस्करा देना
प्यार ज़रूर करना!
वे क्या करेंगे?
तुम्हें फक़त संगसार करेंगे
जीवन के पलों का लुत्फ़ लेना
प्यार ज़रूर करना!
तुम्हारे प्यार को गुनाह भी कहा जायेगा
तो क्या हुआ? …सह लेना।
प्यार ज़रूर करना!
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‘कारी’ (कलंक)
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