sohanpal singhभारत का लोकतंत्र , हम जिस काल्पनिक लोकतंत्र में जीवन व्यतीत कर रहे है वह लोकतंत्र जिन बलिदानो और संविधान की आत्मा से निकलता है उनकी ही आत्माओं को कलंकित भी करता है ? जब यह मालूम होता है कि नटवरलाल का बाप विजय माल्या भारत का नागरिक ही नही है वह तो बिर्टिश नागरिक है ? और किसी तरह भारत की संसद के उच्च सदन का सदस्य भी बन गया था ? जो बैंको का 9 हजार करोड़ रुपया लेकर देश से भाग भी चुका है ? दूसरी घटना लोकतंत्र को कलंकित करने वाली घटना वह है जब गरीब और कमजोर तबकों को न्याय में हो रही देरी का कारण जजों की कमी को बता कर देश के माननीय मुख्य न्यायाधीश भावुक हो गए। । तीसरी घटना अभी अभी एक छोटे से प्रदेश देव भूमि उत्तराखंड में लोकतंत्र का गाला घोंटा गया ? निहित स्वार्थ के चुनी हुई सर्कार को बर्खास्त कर दिया गया , उच्च
न्यायलय से झटका खाने के बाद अब मामला उच्चतम न्यायलय में है ? एस पी सिंह मेरठ